दीनदयालजी का एकात्म मानववाद महान सिद्धांत, इस पर शोध की आवश्यकता: कुलपति
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में ‘विकास चेतना पर्व’ का आयोजन
“एकात्म प्रवाह”वार्षिक शोध पत्रिका तथा “उपस्थिति” अर्धवार्षिक साहित्यिक पत्रिका के आवरण का विमोचन
झाँसी, 25.09.2025। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती के अवसर पर “विकास चेतना पर्व” का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने की। इस अवसर पर मुख्य वक्ता मुनीशजी, सह प्रांत प्रचारक, कानपुर प्रांत तथा विशिष्ट वक्ता प्रो. राकेश पांडेय, प्राचार्य, नेशनल पीजी कॉलेज, बड़हलगंज रहे। कुलसचिव ज्ञानेंद्र शुक्ल तथा परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर की विशेष उपस्थिति रही।
कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि एकात्म मानववाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय का महान सिद्धांत है, जिस पर गंभीर शोध की आवश्यकता है। उनके बताए आदर्शों और मार्गदर्शन पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मुख्य वक्ता मुनीश जी ने कहा कि शिक्षा केवल व्यक्तिगत प्रगति तक सीमित न होकर समाज और राष्ट्र के उत्थान का माध्यम होनी चाहिए। अच्छी पढ़ाई का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। जब समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को अवसर मिलेगा, तभी सच्चे अर्थों में राष्ट्र सशक्त होगा।
उन्होंने कहा कि समाज के उत्थान का वास्तविक कार्य तब संभव है जब हम कमजोर कड़ी को मजबूत करें। हर व्यक्ति की उन्नति ही राष्ट्र की उन्नति है। जब तक अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक विकास की रोशनी नहीं पहुँचती, तब तक किसी भी योजना या नीति को सफल नहीं माना जा सकता।
मुनीश जी ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपनी ऊर्जा और शिक्षा का उपयोग समाज निर्माण में करें। आज देश को ऐसे नागरिकों की आवश्यकता है जो केवल अपने लिए न सोचकर समाज के लिए जिएं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का ‘अंत्योदय’ का विचार हमें यही प्रेरणा देता है कि विकास की धारा सबसे पहले उस तक पहुँचे जिसे इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है
प्रो. राकेश पांडेय ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन संघर्ष और अंत्योदय के बीच की यात्रा है। उन्होंने बाल्यकाल में ही अपने पूरे परिवार को खो दिया और विपरीत परिस्थितियों में जीवन व्यतीत करते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की सोच को मूर्त रूप दिया।
इस अवसर पर कुलसचिव ज्ञानेंद्र शुक्ल ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। हमें उनके विचारों को अपने कार्यक्षेत्र और व्यवहार में उतारना चाहिए।
परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर ने अपने वक्तव्य में कहा कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की धारा पहुँचाना ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सपना था। विश्वविद्यालय परिवार को उनके विचारों से निरंतर ऊर्जा मिलती रहेगी।
कार्यक्रम का संचालन तथा अतिथियों का स्वागत शोधपीठ के निदेशक प्रो. मुन्ना तिवारी द्वारा किया गया। आभार ज्ञापन डॉ. अचला पांडेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता, कला संकाय, डॉ श्रीहरि त्रिपाठी, डॉ. बिपिन प्रसाद समेत सभी शिक्षकगण, शोधार्थी, विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।