किसान धान की फसल को कीट रोग नियन्त्रण से बचायें
झांसी: जिला कृषि रक्षा अधिकारी कुलदीप कुमार मिश्र ने अवगत कराया है कि इस समय धान की फसल जो दुग्धावस्था/परिपक्व अवस्था मे है, विशेष रूप से पछेती धान मे हानिकारक कीटो की लगने की सम्भावना रहती है। इस अवस्था पर धान फसल मे भूरा (B.P.H ), हरा, सफेद पीठ वाला फुदका तथा गन्धी बग जैसे कीटों का आक्रमण हो सकता है। फुदको के नियंत्रण हेतु खेतो मे जलभराव की स्थिति मे पानी का निकास करे एवं अधिक मात्रा मे नत्रजन युक्त उर्वरको का प्रयोग न करे। आर्थिक क्षति स्तर पर 15-20 कीट प्रति पुंज दिखाई देने पर इमिडाक्लोरोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस0एल0 125 मिली0 अथवा एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एस0पी0 100 ग्राम अथवा थायोमेथेक्सैम 25 प्रतिशत डब्ल्यू0जी0 100 ग्राम रसायन मे से किसी एक रसायन को प्रति हैक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करना चाहिए। गन्धी बग के नियंत्रण हेतु मैलााथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा0 अथवा फैनबैलरेट 0.04 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा0 की दर से प्रति हैक्टेयर बुरकाव करना लाभप्रद होता है।
उन्होने बताया कि किसान अपनी फसल सुरक्षा से सम्बन्धित समस्या के निदान हेतु फसल पर रोग/कीट/खरपतवार के नियंत्रण हेतु व्हाट्सएप नं0- 9452247111 अथवा 9552257111 पर कीट रोग का फोटो तथा समस्या लिखकर जानकारी निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं।