ग्रामीण एडिटर धीरेंद्र रायकवार
डाकू से आदिकवि बने थे महर्षि बाल्मीकि
महर्षि वाल्मीकि ने की थी संस्कृत में रामायण की रचना
जी पी नायक गर्ल्स स्कूल में मनाई गई महर्षि बाल्मीकि जयंती
मनाई जाती है। महर्षि वाल्मीकि को रामायण महाकाव्य के रचयिता के रूप में जाना जाता है। महर्षि बाल्मीकि को संस्कृत के सामहर्षि बाल्मीकि को आदि भारत का प्रमुख ऋषि माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि बाल्मीकि का नाम रत्नाकर था। इनका पालन-पोषण भील जाति में हुआ था। अपनी आजीविका को चलाने के लिए ये डाकू का काम करते थे जो जंगल में आते-जाते लोगों को लूटते थे। जिंदगी के एक मोड़ पर उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई। इस मुलाकात में नारद मुनि ने उन्हें काफी ज्ञान की बातें बताई, जिसके बाद से ही बाल्मीकि की जिंदगी में एकदम से बदलाव आ गया। नारद मुनि ने उन्हें सद्कर्म के मार्ग की ओर अग्रसर किया और इस मार्ग को चुनकर बाल्मीकि ने अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाया।
यह बात पं. जी पी नायक गर्ल्स स्कूल में आज महर्षि बाल्मीकि जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बालिकाओं को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ शिक्षिका सीमा अग्रवाल ने छात्राओं को बताई। इस मौके पर विद्यालय समन्वयिका फौजिया खान, सुकीर्ति गुप्ता, गुरप्रीत कौर, शशि सोनी, श्वेता अहिरवार, नाजिया अली, रीना साहू, नीतू सोनी, नैना रायकवार, वैशाली झा, रीना यादव, प्रशांत सिंह, प्रियांक मिश्रा, दीन दयाल झा, रोबिन सर बसंत चतुर्वेदी सहित बड़ी संख्या में विद्यालय की छा़त्राएं उपस्थित थीं।
छात्राओं को सम्बोधित करते हुए सीमा अग्रवाल ने बताया कि महर्षि बाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर था। प्रतिवर्ष आश्विन माह की शरद पूर्णिमा को महर्षि बाल्मीकि का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन उनकी जयंती थ कई भाषाओं का ज्ञान था उन्होंने संस्कृत में रामायण की रचना की थी। इस मौके पर विद्यालय की छात्रा द्रष्टि अग्रवाल ने भी महर्षि बाल्मीकि जी की जीवन शैली का सविस्तार वर्णन किया बच्चों द्वारा कुछ प्रश्न पूछे गए अपनी शंकाओं को रखा गया जिसका सविस्तार समाधान किया गया।
रिपोर्टर विनोद साहू बरूआसागर