*स्वतंत्रता दिवस पर जमकर बिके बूंदी के लड्डू, खूब हुई बेसन में मिलावट-फूड इंस्पेक्टर रहे नदारद*
कोंच में इस बार कुन्तलों मिलावटी लड्डू बिक गए और फूड इंस्पेक्टर 15 अगस्त के कुछ दिन पहले से ही क्षेत्र में नदारद रहे। इन बिकने वाले लड्डुओं में जमकर बेसन में खूब मिलावट की गई और लोगों की सेहत से खूब खिलबाड़ किया गया। इस बार लड्डुओं की बिक्री ज्यादा इसलिये भी हुई कि अभी अभी जो नए प्रधान बने थे उनके अंदर स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम धूमधाम से मनाने की तमन्ना थी और इसके लिए कुन्तलों लड्डू 15 अगस्त पर दुकानदारों से खरीदकर ग्रामीण क्षेत्र में बटने के लिए गए और लोगों ने इन मिलावटी लड्डू को खाकर खूब खुशी जाहिर की अब उन्हें क्या पता कि जो उन्होंने खाया है उसमें बेसन के साथ क्या क्या मिलाया है। पूरा मामला कोंच क्षेत्र का है। जहां पर तैनात फूड इंस्पेक्टर अपने कार्य के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। भले ही शासन से बराबर यह निर्देश दिए जाते हों कि त्यौहार पर्वों पर मिठाई की दुकानों पर जाकर ऐसी दुकानें जहां मिलावट का खेल चलता है उनके यहाँ सैम्पलिंग की जाए और त्यौहार के पहले ही मीडिया के माध्यम से यह भी सूचित करवाया जाए कि किसी प्रकार की मिलावटी मिठाई न बेची जाए अन्यथा कार्यवाही के तैयार रहें, अगर इस तरह का प्रयास फूड इंस्पेक्टर कोंच द्वारा किया गया होता तो आज क्षेत्र में बेसन में मिलावट कर लड्डू बेचने वालों पर कुछ हद तक लगाम जरूर लगती लेकिन न वह 15 अगस्त के पहले किसी दुकान पर मिलावट न करने की चेतावनी देने आए और न ही किसी के सैम्पिल भरने की जरूरत ही समझी। अब नागरिक इन लड्डूओं को खाकर बीमार पड़े या ओर कुछ हों, इससे इन्हें क्या मतलब। कोंच के नागरिक यह कहते दिखे कि इस बार बहुत लड्डू 15 अगस्त पर बिका और जमकर बेसन व घटिया स्तर का रिफाइंड आदि भी प्रयोग किया गया। नागरिकों ने बताया कि अगर फूड इंस्पेक्टर मामले में जरा भी संज्ञान लेते तो यह मिलावटी माल न बिक पाता। कोंच नगर में सबसे ज्यादा मिलावटी लड्डू तो मारकंडेश्वर की एक लाल-पीली-हरी मिठाई बनाने वाले दुकानदार के यहां बिकी क्योंकि इनकी दुकान एक तो चलते हुए चौराहे मारकंडेश्वर पर है तो दूसरी ओर कम पैसों में भी यहां काम चल जाता है क्योंकि यह घटिया से घटिया क्वालिटी का माल आसानी से मिल जाता है, *सूत्र तो यह भी बताते हैं कि फूड इंस्पेक्टर सबसे ज्यादा यहीं आते है और सैम्पिल भरने में इस दुकान का कतराते हैं* । अगर सूत्रों की बात मानी जाए या पूरे कोंच क्षेत्र की जनता से पूंछ लिया जाए तो उनका जबाब भी यही होगा। यही पर इसी दुकान का मालिक जो कि नगर में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में फैमस है। वहीं हम उन दुकानदारों को भी धन्यबाद देंना चाहेंगे कि उंन्होने भी खूब लड्डू बेचे लेकिन क्वालिटी से समझौता नहीं किया और 15 अगस्त पर बुक हुए लड्डू पूर्ण रूप से अच्छी क्वालिटी में बेचे। ऐसे दुकानदारों का कहना है कि हमारे यहां लड्डू कम बिके सुकून हैं उन्हें क्योंकि उनकी मिठाई खाकर लोग कम से कम बीमार तो नहीं पड़ेंगे। अच्छी क्वालिटी बनाने वाले दुकानदारों ने कहा कि अन्य दुकानदारों की तरह अगर वह भी मिलावट करेंगे तो कोंच से अच्छी और बुराई मिठाई की दुकान का नाम ही खत्म हो जाएगा। हालांकि अच्छी क्वालिटी बेचने वाले दुकानदार मायूस भी दिखे जब उन्स मायूसी का कारण पूंछा तो उनका कहना था कि वह थोड़े पैसे जरूर ज्यादा लेते हैं लेकिन सामान तो अच्छा देते हैं और मारकंडेश्वर का मिलावटखोर दुकानदार कम पैसों में ज्यादा मिष्ठान तो दे देता है लेकिन लोगों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा, इसका तो ध्यान रखना चाहिए। अच्छी क्वालिटी बेचने वाले दुकानदारों ने कहा कि अब वह क्या कहें कि उनके यहां से गयी मिठाई कोंच के अलावा जनपद के अधिकारी भी खाते है और उनकी दुकान की प्रशंसा भी करते हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि फूड इंस्पेक्टर भी उनकी दुकान की मिठाई खाते तो हैं ही और डिब्बे के डिब्बे घर भी ले जाते हैं, लेकिन जब हमारी मिठाई अच्छी है और यह खुद भी खाते हैं और निःशुल्क पैक भी करा लें जाते हैं तो फिर सैम्पिल की कार्यवाही क्यों कर जाते हैं। दुकानदारों ने कहा कि ठीक है अगर सैम्पिल भर लिया ठीक है कोई दिक्कत नहीं, अगर सैम्पिल भरना है तो फिर मारकंडेश्वर पर मिलावटी दुकान का सैम्पिल क्यों नहीं लिया जाता है ?