*फूड इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली से कोंच के दुकानदार खफा, बड़े व्यापारियों पर खूब बरसती है इनकी कृपा*
बड़ी मछलियों के कहने पर करते हैं फूड इंस्पेक्टर काम
*सैम्पलिंग की कार्यवाही के पहले चलता है दुकानदारों से घण्टों संवाद-?*
घटिया सामग्री बेचने वाले रहते हैं इनके राज में पूरे सेफ
*कोंच की सीमा में प्रवेश करते ही मारकंडेश्वर चौराहा पर सबसे पहले सक्रिय कार्यकर्ता के यहाँ होती है बैठक*
बड़े दुकानदारों पर कार्यवाही न होने से छोटे दुकानदार रहते हैं मन ही मन काफी दुःखी
*मारकंडेश्वर पर सड़े-गले, नीले-पीले पकबान बेचने वाले दुकान पर क्यों नहीं होती कार्यवाही ? आमजनता में रहती है इस दुकान की खूब चर्चा*
*सैम्पलिंग कार्य के दौरान मीडिया का फोन भी नहीं उठाते फूड इंस्पेक्टर कोंच ताकि दूध का दूध और पानी का पानी न हो जाये*
कोंच में फूड इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली से कोंच के दुकानदारों में काफी रोष है। वहीं बड़ी मछलियाँ जो सब गोबर को भी गुड़ बनाकर लोगों को बेंच देती हैं उन पर कुछ बहुत ही ज्यादा कृपा बरसती है, वहीं छोटी मछलियों को जमकर परेशान किया जाता है। फूड इंस्पेक्टर के खास इन छोटी मछलियों के यहां जा-जाकर उनकी देहरी खून्द देते हैं। फूड इंस्पेक्टर कोंच राहुल शर्मा के कार्य करने का तरीका इतना गलत है कि कई दुकानदार इनसे भारी खफा हैं लेकिन अपने व अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए यह सब सहना पड़ता है। बेचारे मन ही मन दुःखी होते रहते हैं। यह कोंच में उन दुकानों को अपना निशाना बनाते हैं जहां हकीकत में अच्छा और बेहतर सामान कम रेट में मिलता है। अभी एक माह पूर्व देर शाम को यह अपने पद की इतनी भी मर्यादा भूल गए कि एक पनीर दूध, दही की दुकान पर टी-शर्ट और लोवर में पहुंच गए और उसके ऊपर काफी देर घण्टों बातचीत के बाद जब बातचीत असफल हुई तो फिर वही सैम्पलिंग की कार्यवाही कर दी गई। इसके बाद भी फूड इंस्पेक्टर का मन इस दुकान पर अभी भी डोलता रहता है और यहां आते जाते कुछ नहीं तो दुकान पर जरूर हो आते हैं और लम्बी लम्बी बातों से दुकानदार का दिल दुःखी कर आते हैं। कोंच में प्रवेश करते ही मारकंडेश्वर चौराहा पर एक सड़ी-गली, नीली-पीली मिठाई की एक दुकान पर इनका भरपूर स्वागत होता है और यहीं पर इनका एक कार्यकर्ता भी नियुक्त किये हैं जो इनकी कोंच में अनुपस्थिति में जमकर एक दुकान से दूसरे दुकान पर जाने का काम करता है और अगर कोई दुकानदार इनके कार्यकर्ता का सम्मान नहीं करता और इनके आदेश- निर्देश मानने की बात स्वीकार नहीं करता तो फिर यह अपने कार्यकर्ता के सम्मान में उसी दुकान पर जाकर होता है सैम्पलिंग का खेल। इसके अलावा इनके एक से दो कार्यकर्ता बाजार में भी हैं जो पूरी रूपरेखा और दुकानदारों की सूचना से सम्वन्धित जानकारी यहाँ देते हैं। कोंच में जब यह सैम्पलिंग की कार्यवाही करने निकलते हैं तो ऐसे में मीडिया के फोन भी उठाना मुनासिब नहीं समझते क्योंकि अगर मीडिया को अपने आने की सूचना दे देंगे तो दुकानदारों से दम से घण्टों संवाद नहीं कर पाएंगे, हां जब दुकानदारों से संवाद फूड इंस्पेक्टर राहुल शर्मा का सही से नहीं हो पाता और सैटिलमेन्ट ठीक नहीं बैठ पाता तो फिर अंत में वही सैम्पलिंग का कार्य कर देते हैं। कई दुकानदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बड़े बड़े दुकानदारों के यहाँ कभी भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती लेकिन छोटे दुकानदार जो काफी साफ सफाई का सामान सही दाम में बेचते हैं उनके यहाँ सैम्पलिंग की कार्यवाही की जाती है, जिससे उनके अन्दर इस बात की हीनभावना होती है कि हम छोटे दुकानदार हैं तो हमारा सैम्पिल लिया जा रहा है जबकि बड़े दुकानदार का बाल भी बांकी नहीं हो रहा। फूड इंस्पेक्टर दुकानदारों के यहाँ जब बात नहीं बनती तो यह कहते हैं कि जिलाधिकारी के यहां आपकी काफी शिकायत है इसलिए सैम्पिल लेना पड़ रहा है। कभी- कभी जब दुकानदार ज्यादा पूंछता है कि किसने की शिकायत तो जिसका नाम मुंह पर आ जाता उसका नाम बता देते और कहते कि कहना नहीं, इससे गोपनीयता भंग होती है। जिस कारण कई दुकानदारों में आपसी रंजिश भी हो जाती है और कहीं यह आपसी रंजिश किसी दिन कोई शांतिभंग न कर दे। दुकानदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई कार्यकर्ता फूड इंस्पेक्टर के नगर में काम कर रहे हैं और बड़ी – बड़ी जो मछलियां हैं उन पर कार्यवाही करने का बिल्कुल ही मन नहीं बनाते। मारकंडेश्वर चौराहा पर एक दुकान जिस पर बिकते है सड़े गले पकवान, उस दुकान का कभी सैम्पिल नहीं लिया जाता है क्योंकि उस दुकान का एक व्यक्ति फूड इंस्पेक्टर का कार्यकर्ता नहीं बल्कि सक्रिय कार्यकर्ता है। कोंच मे फूड इंस्पेक्टर राहुल शर्मा जिलाधिकारी की ईमानदारी की साफ छवि को खराब करने में लगे हैं चूंकि दुकानदारों को व्यापार करना है और चार पैसे अपने परिवार के भरण- पोषण को चाहिए इसलिये वह कुछ खुलकर नहीं कह पाते और यह सब जुल्म सह रहे हैं, अगर सैम्पलिंग की कार्यवाही हो तो सभी के साथ समान भाव से हो। बिना किसी भेदभाव के हो लेकिन चहेतों को छोड़कर टारगेट बनाकर काम करना निश्चित ही गलत सन्देश कोंच नगरवासियों/दुकानदारों में जाता है। जनप्रिय/न्यायप्रिय/ ईमानदार व शासन के मंशा के अनुरूप के कार्य करनी बाली जिलाधिकारी जालौन प्रियंका निरंजन से मांग है कि वह फूड इंस्पेक्टर राहुल शर्मा की कारगुजारी की जानकारी कर इनके ऊपर कठोर से कठोर कार्यवाही की जाए।