*स्वास्थ्य विभाग मौन—15 घंटे बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई*
जालौन :० एक्सपायरी दवाओं का मामला सामने आने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में है। सूचना मिलने के 12 घंटे बाद भी न तो कोई जांच शुरू हुई और न ही किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई, जिसके बाद विभागीय कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े होने लगे हैं।
आखिर क्या छिपाना चाह रहा है स्वास्थ्य विभाग?
*लगातार उठ रहे कुछ बड़े सवाल—*
किस अस्पताल या स्टोर ने इन दवाओं को प्राप्त किया?
स्टॉक में इन्हें दर्ज करने वाला अधिकारी कौन था?
एक्सपायर होने के बाद नष्ट करने की प्रक्रिया का पालन किसने नहीं किया?
सालों तक एक्सपायरी दवाएँ स्टोर में कैसे रखी गईं?
नष्ट करने की अनिवार्य प्रक्रिया को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही क्यों हुई?
स्टॉक रजिस्टर में ये दवाएँ आखिर किस तारीख तक दर्ज रहीं?
इन सवालों के जवाब न मिलना ही विभाग की बढ़ती परेशानी का संकेत दे रहे हैं।
*मामला बना स्वास्थ्य विभाग के गले की फँसी हड्डी*
अगर निष्पक्ष जांच हुई तो कई नाम उजागर होने तय माने जा रहे हैं। विभाग के अधिकारी फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि नियमों के मुताबिक एक्सपायरी दवाओं को स्टोर में रखना और नष्ट न करना एक गंभीर लापरवाही ही नहीं, बल्कि दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
जिम्मेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, यह तो जांच के बाद ही साफ होगा, लेकिन फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की मौन स्वीकृति ही सबसे बड़ा सवाल बनी हुई है।