ग्रामीण एडिटर ब्यूरों धीरेन्द्र रायकवार
मोंठ/झाँसी – वर्तमान में प्रदेश में आए दिन मां बहिन- बेटी के साथ हो रहे घिनौने कृत्य एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ व बेटियों की स्थिति एवं लोगों की सोच पर एक कार्यक्रम के दौरान चिरगाँव ब्लॉक की विशाखा कुशवाहा ने बोलते हुए बेटी होने के नाते बेटियों के मन की पीड़ा को सभी तक पहुचाने की कोशिश की है। जिसमें उसने उसने बोलते हुये कहा कि जब कभी भी दो परिवार एवं पड़ोसियों के बीच विवाद हो जाता है। तो जब भी विवाद के बीच में बेटी अगर बोल जाती है। तो लोग कहते हैं कि उसकी लड़की बहुत बोलती है। और अगर लड़के बोल जाएं तो कोई कुछ नहीं कहता। आखिर लोग यह लड़का और लड़की में क्यों फर्क समझते हैं। अगर लड़की नहीं बोलेगी तो आप ही बताइए क्या लोग अपने घरों में गूंगी बहू लाना पसंद करेंगे। कुछ ऐसे ही अल्फाज थे उस बेटी की जुबां पर, जब किसी अन्य लोगों की बेटी एवं बहू पढ़ लिखकर एक अच्छी नौकरी पर पहुंचती है, तो लोग उसे देख कर कहते हैं, की बहुत अच्छी बहू मिली है नौकरी वाली है, लेकिन वही लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि उनकी भी बेटी है, अगर वह भी अपनी बेटी को पढ़ाई और अच्छी शिक्षा ग्रहण कराएंगे तो वह भी किसी के घर में जाकर किसी की बहू बनेगी और वह भी एक अच्छी नौकरी कर अच्छी बहू बन सकती है, लेकिन लोग सिर्फ अच्छी बहु ढूंढना तो चाहते हैं, लेकिन बेटी नहीं पढ़ाना चाहते, जब किसी के भी घर में महिला की तबीयत खराब होती है, तो अस्पताल में जाते ही जांच के लिए, इलाज के लिए वगैरा-वगैरा महिला नर्स महिला डॉक्टर ढूंढते हैं, अगर वह अपनी बेटी को पढ़ा नहीं सकते तो महिला डॉक्टर ढूंढने का भी उन्हें हक नहीं है, बेटी ने बोलते हुए कहा कि “जब बेटी नहीं पढ़ाएंगे तो महिला डॉक्टर कहां से लाएंगे” देश में हो रहे आए दिन मासूम बच्चियों एवं लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटनाओं से अब दिल दहल उठता है। अब तो बस हर नारी के मन से एक ही पुकार निकलनी चाहिए कि “हर नारी की यही पुकार, बुरी नजर जो डाली मुझपर, कर दूंगी तेरा संघार” बोलते हुए कहा कि जिस घर में गांव में प्रदेश और देश में स्त्री की इज्जत नहीं होगी सम्मान नहीं दोगे तो वह चाहे घर हो या देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता। ईश्वर का सबसे सुंदर शास्त्र नारी ही है, कोई कितना भी बड़ा ज्ञाता हो जाए, चाहे जितना वेद पढ़ ले तब भी उसे कोई ज्ञान नहीं होगा। जिसदिन नारी को समझ लिया उसे सब शास्त्रों का ज्ञान हो जाएगा। अपमान नारी का मत करना क्योंकि “देश नारी के बल पर चलता है, पुरुष जन्म लेकर इन्हीं की गोद में पलता है” हमारी समाज के लोग बेटियों को पढ़ने नहीं देते शायद वह भूल जाते हैं, कि वह जिस जन्मभूमि से संबंध रखते हैं। खास हम लोगों ने जिस जन्म भूमि पर जन्म लिया है। वह बुंदेलखंड में आती है। बुंदेलखंड के झांसी जिले की हम निवासी है, जहां वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई जैसी महिलाओं ने जन्म लिया। जिनका नाम आज देश तो देश विदेशों में भी लोग उन्हें रानी लक्ष्मी बाई के नाम से जानते हैं। आज भी जब हम अपने देश से बाहर जाते हैं। तब आप को भले ही आप अपनी जगह का पता बताएं और कोई नहीं पहचान पाता लेकिन आप शायद इस बात को भूल जाते हैं कि आपकी पहचान भी एक महिला से ही है। क्योंकि जब भी आप देश से बाहर जाते हैं, तो वहां पर भले ही कोई पहचाने या न पहचाने लेकिन जब भी आप झांसी का नाम लेते हैं। तो लोग कहते हैं कि वह वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई वाला झांसी तो आप बेटी में फर्क करना छोड़ दें और बेटियों को पहिचाने और समझें और बेटी को पढ़ाएं और बेटी को बचाएं।