*झांसी जिले की तहसील गरौठा में दलालों का बोलबाला प्रशासनिक अधिकारी मौन*
*गरौठा झांसी* तहसील गरौठा के सभी कार्यालयों में प्राइवेट कर्मचारियों की दबंगई खुलेआम चल रही है सभी सरकारी कार्यालयों में प्राइवेट कर्मचारी कार्य कर हैं जो कि कहीं ना कहीं अधिकारियों/कर्मचारियों के रिश्तेदार या उनके सगे संबंधी हैं। दूर दराज ग्रामीण अंचलों से आने वाले ग्रामीणों को प्राइवेट कर्मचारी इतना परेशान करते हैं कि किसान अपने तहसील सम्बन्धी कार्य कराने में भी रोते हुए नजर आते हैं प्राइवेट कर्मचारी कहते हैं अगर काम करवाना है तो हमारे हिसाब से सुविधा शुल्क देनी पड़ेगी अन्यथा आपका काम नहीं होगा वहीं आय, जाति,निवास,आदि प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन करने पर भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाते हैं इस सम्बन्ध में सम्बंधित सरकारी कर्मचारियों से बात करते हैं तो वह भी बात को टाल जाते हैं अधिकारियों के संज्ञान में आने पर भी प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं जबकि शासन की मंशा है कि किसी भी सरकारी कार्यालय में प्राइवेट कर्मचारी काम नहीं करेंगे और न ही कोई भी अधिकारी प्राइवेट कर्मचारियों से सरकारी कार्य करा सकते हैं लेकिन फिर भी तहसील गरौठा में राजस्व निरीक्षक द्वारा प्राइवेट/रिटायर्ड कर्मचारियों से नाप कराई जा रही है इसके अलावा काश्तकारों से मनमाने तरीके से मोटी रकम वसूली जा रही है। प्राइवेट कर्मचारी इतने दबंग हैं कि वह कहते हैं मेरी शिकायत तो तुम्हारा काम नहीं होगा मेरा तो कोई कुछ बिगाड़ भी नहीं सकता है प्रशासन की घोर लापरवाही एवं अधिकारियों की मिली भगत से चल रही है अवैध वसूली का धंधा रहा है। वहीं तहसीलदार के कार्यालय में तो प्राइवेट कर्मचारी इतने दबंग हैं कि वह दाखिल खारिज करवाने के लिए लोगों को 6 से 7 माह तक दफ्तर के चक्कर लगवाते हैं फिर भी काम नहीं होता है। उक्त कर्मचारियों से कहते हैं तो कर्मचारी दबंगई करते हैं व कहते हैं कि आपका काम नहीं होगा आपको जहां जाना है वहां चले जाओ ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले किसान क्या इसी तरह परेशान होते रहेंगे। अब देखना यह है कि प्रशासनिक अधिकारी सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले प्राइवेट कर्मचारियों को तहसील गरौठा से हटाते हैं या नहीं।