कोंच की नंदी गौशाला की बदहाल स्थिति
जनपद जालौन की कोंच तहसील में हाटा स्थित नंदी गौशाला की स्थिति इन दिनों अत्यंत दयनीय बनी हुई है। भीषण गर्मी और अव्यवस्थाओं के चलते यहां रखे गए अन्ना और बेजुबान जानवर भूख-प्यास से बेसुध होकर प्रतिदिन बीमार पड़ रहे है। सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरें इस दर्दनाक हकीकत की गवाही दे रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि नगर पालिका परिषद कोंच के अधिकारी और कर्मचारी इस गंभीर मामले को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। गौशाला में व्यवस्थाओं का टोटा नंदी गौशाला का मूल उद्देश्य बेसहारा और अन्ना जानवरों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करना होता है, जहां उन्हें प्रतिदिन भरपूर चारा, पानी और चिकित्सा सुविधा मिल सके। लेकिन कोंच की यह गौशाला अब खुद ही अपनी जरूरतों के लिए तरस रही है। स्थानीय नागरिकों और गौसेवकों के अनुसार यहां ना तो पर्याप्त मात्रा में चारा उपलब्ध है और ना ही स्वच्छ पानी की व्यवस्था। जानवरों को न छांव मिल रही है और न इलाज जिससे कई की हालत गंभीर बनी हुई है। इस समय उत्तर भारत में तापमान 45 से 50 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है। ऐसी गर्मी में इंसानों के लिए भी जीवन कठिन हो जाता है, तो फिर उन बेजुबानों की क्या हालत होगी जो बिना खाए-पिए बिना किसी देखरेख के खुले आसमान के नीचे प्यास और भूख से कराह रहे हैं। ऐसी हालत में कई जानवर बीमार पड़ रहे हैं। गौशाला की बदहाली और जानवरों की दयनीय स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो और फोटो तेजी से वायरल हो रहे हैं। इनमें मरने की हालत में जानवर साफ देखे जा सकते हैं। इन वायरल वीडियो ने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है बल्कि आम जनता के बीच गुस्सा और असंतोष भी फैला दिया है। नगर पालिका परिषद कोंच के अधिकारी और कर्मचारी इस अव्यवस्था के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार माने जा रहे हैं। शासन और न्याय प्रिय जिलाधिकारी जालौन राजेश कुमार पाण्डेय द्वारा समय-समय पर दिए जा रहे आवश्यक जरूरी दिशा निर्देशों और आदेशों के बावजूद स्थानीय निकाय द्वारा इनका पालन नहीं किया जा रहा है। यदि समय रहते इन अधिकारियों द्वारा उचित कदम उठाए जाते तो शायद यह स्थिति न बनती। उत्तर प्रदेश सरकार ने अन्ना जानवरों के संरक्षण और देखभाल को लेकर कई योजनाएं चलाई हैं। जिलों में गोशालाओं की स्थापना चारा बैंक की व्यवस्था, पानी की टंकियां, चिकित्सकीय देखभाल आदि योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन कोंच में इन योजनाओं की ज़मीनी हकीकत बिलकुल अलग है। यहां न तो पर्याप्त बजट का सही उपयोग हो रहा है और न ही नियमित निरीक्षण की व्यवस्था है। ऐसे में साफ जाहिर है कि शासन के आदेश महज कागजों तक ही सीमित हैं। गौशालाओं में अव्यवस्था का परिणाम यह है कि कोंच नगर में अन्ना जानवरों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है। ये जानवर नगर की गलियों, मुख्य मार्गों, बाजारों में खुलेआम घूमते नजर आते हैं। इससे आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और आम नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किसानों की फसलें भी इन जानवरों द्वारा बर्बाद की जा रही हैं। कोंच के स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में इस स्थिति को लेकर गहरा आक्रोश है। वे बार-बार नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन से गौशाला की स्थिति सुधारने की मांग कर रहे हैं। कई व्यक्तियों ने जिलाधिकारी से इस विषय में त्वरित कार्रवाई की मांग भी की है। लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है। कोंच की नंदी गौशाला की बदहाल स्थिति न केवल स्थानीय प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी झकझोरती है। बेजुबान जानवर जो इंसान की मदद के भरोसे हैं वे आज भूख-प्यास से मरने को मजबूर हैं। प्रशासन को अब देर नहीं करनी चाहिए। शासन के निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए जिम्मेदारों को जवाबदेह बनाना होगा तभी इन बेजुबानों को इंसाफ मिलेगा।