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झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी एवं हिंदुस्तानी भाषा एकेडमी, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक

ByNeeraj sahu

Mar 28, 2025

कुलपति ने साहित्यकारों को किया सम्मानित

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी एवं हिंदुस्तानी भाषा एकेडमी, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेला के अंतर्गत चल रहे अंतरराष्ट्रीय सृजनात्मक लेखन कार्यशाला के समापन के अवसर पर मशहूर कथाकार महेश कटारे ने अपनी कहानी के माध्यम से युवाओं को लेखन की बारीकियों के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि आप जो समाज में देखें उसे ही अपने कहानी में बयान करेंगे तो पाठक भी जुड़ेंगे। हर बार कुछ नया लिखने का प्रयास अवश्य करें।
दिल्ली विश्वविद्यालय से आए गोपेश्वर दत्त पांडेय ने कहा कि लिखने में महत्व इस बात का है कि आप आने भीतर के भावनाओं को कैसे व्यक्त करते हैं। भारतीय विचार और भारतीय परंपरा को अपने लेखन में अवश्य शामिल करें। भारत में इतनी विविधता है कि आपको रचनात्मक लेखन के लिए विषय आसानी से मिल जाएगा।

डॉ. विनोद द्विवेदी ने कहा कि पुस्तकों से लोगों का जुड़ना बेहद जरूरी है। पाठकों के साथ-साथ लेखकों को भी पुस्तकों के साथ न्याय करने की आवश्यकता है। हम पढ़ते कम हैं लिखते ज्यादा है। आज हमें विचार करके ये जरूर देखने का प्रयास करेंगे कि आखिर कमी कहां रह गई है। कितने बड़े दोषी हम है। आज अपने दोष का निराकरण करे। और यदि आप पुस्तकों के आगे झुकते हैं तो पुस्तकें आपको किसी के आगे झुकने नहीं देंगी। उमेश सिंह ने कहा कि आज समझना यह है कि जो हम लिखते है उसको कही जगह मिलेगी या नहीं। यह ध्यान रखना चाहिए कि ये लेखन किस काम का है। अगर आप लिखना चाहते है तो अपने लेख को अपने आप से, समाज से, परिवार से, जोड़ कर देखने आवश्यकता है। आज लेखक समझने के लिए लिखता है पहले की कविताओं को समझने की जरूरत नहीं थी। जहां शब्दों में दृश्य उत्पन्न हो जाए, महक आ जाए वही असली लिखनी है। सुनील विपुल राय ने भी अपने विचार युवाओं के बीच रखे।
सभी साहित्यकारों का सम्मान कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय, कुलसचिव विनय कुमार सिंह तथा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी सुशील बाबू द्वारा किया गया। अतिथियों का स्वागत प्रो.मुन्ना तिवारी तथा आभार डॉ. बिपिन प्रसाद द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन नवीनचंद्र पटेल द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. अचला पांडेय, डॉ. श्रीहरि त्रिपाठी, डॉ. प्रेमलता श्रीवास्तव, डॉ. द्यूती मालिनी, डॉ. आशीष दीक्षित, डॉ. सुनीता वर्मा, डॉ. आशुतोष शर्मा, डॉ. राघवेंद्र, कपिल शर्मा, डॉ. रामनरेश, डॉ. जोगेंद्र, गरिमा, आकांक्षा सिंह, मनीष मंडल, विशाल, अजय तिवारी समेत कई अन्य शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी आदि मौजूद रहे।

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