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घूसखोरी के रुपये वापिस करने पर, बैंक में दलालो की खुली पोल, रिपोर्ट- भूपेन्द्र गुप्ता

ग्रामीण एडिटर ब्यूरो धीरेन्द्र रायकवार

कटेरा (झाँसी) थाना कटेरा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पड़रा के एक किसान बैंक में रिश्वत देने के बाद भी केसीसी बनवाने के लिए दर-दर भटक रहा है।
जब केसीसी नही बना तो पीड़ित किसान ने कटेरा पुलिस से शिकायत की। मामला पुलिस के पास पहुंचा तो उक्त सहायक मैनेजर ने कार्यवाही के डर से किसान के पैसे हनुमान मंदिर पर रखकर वापिस कर दिए।
पीड़ित किसान ने बैंक के उच्चाधिकारियों से उक्त सहायक मैनेजर के विरुद्ध कार्यवाही करने माँग की।
प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे बुन्देलखण्ड के किसान को प्रशासन और पुलिस इस कदर परेशान किए हैं किसान आत्महत्या के अलावा कुछ और सोच ही नहीं पाता। जब किसी सरकारी अधिकारी पर किसानों के लगाए आरोप सही साबित हो जाते हैं तो वह दबाव बनाकर अपनी गलती चुपके से मान लेता है और कार्रवाई से बच जाता है। ऐसा ही हुआ। कटेरा देहात के ग्राम पड़रा निवासी चेनू कुशवाहा के साथ भी उसने पुलिस को सूचना देते हुए बताया कि वह एक गरीब किसान है। कृषि कार्य हेतु पैसों की आवश्यकता थी। उसने कटेरा स्थित पंजाब नेशनल बैंक में केसीसी के लिए 27 नवंबर 2017 को केसीसी का बकाया भुगतान जमा कर दिया था। 2 महीने बैंक में फाइल पड़ी रही। इसके बाद रिपोर्ट लगाने के एवज में बैंक के सहायक मैनेजर द्वारा 12000 रुपए रिश्वत के रूप में लिए गए। तब जाकर अधिकारी ने कृषि अधिकारी से 11 एकड़ जमीन पर छह लाख साठ हजार की रिपोर्ट लगवाई थी और जमीन को बंधक बना लिया।


इसके बाद से आजकल काम होने का आश्वासन देता रहा।  लेकिन केसीसी नहीं बनाया। जब केसीसी के संबंध में सहायक मैनेजर से बात की तो उन्होंने 18000 रुपए और मांगे। चैनू ने रुपए देने में असमर्थता जताई तो उसे फाइल सहित बैंक से बाहर भगा दिया। किसान ने जब उक्त घटना की शिकायत कटेरा पुलिस से की तो कार्यवाही के डर से सहायक मैनेजर ने किसान के 12000 रुपए एक मंदिर पर रख दिए तथा पीडि़त किसान ने वह रुपए मंदिर से वापस ले लिए।  सहायक मैनेजर द्वारा एक कागज पर लिखवा लिया गया कि किसान के पैसे वापस दे दिए गए हैं, इसलिए किसान अब कोई कार्यवाही नहीं चाहता है। जिससे साफ स्पष्ट होता है की बैंकों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है और बैंकों में बैठे अधिकारी बिना पैसे के किसी कागज पर साइन भी नहीं करते हैं। साथ ही बिना दलालों के किसानों का कोई कार्य भी नहीं किया जाता है। पीडि़त किसान ने उच्चाधिकारियों से उक्त सहायक मैनेजर के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही किए जाने की मांग की।

रिपोर्ट- भूपेन्द्र गुप्ता

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