*एरच (झाँसी)*आदि शक्ति मां छिन्नमस्ता मैया धाम डिकोली एरच झाँसी में अंतर्गत श्रीमद्भागवत पुराण का साप्ताहिक आयोजन के अंतर्गत आज अंतिम दिवस में श्री सुदामा चरित्र का मित्रता की अनोखी मिसाल के तहत पंडित महेश प्रसाद शास्त्री द्वारा मित्रता की कथा का बखान किया गया जिसके साथ ही साथ उन्होंने कहा कि परमात्मा और सुदामा के बीच जो मित्रता का सहन अनुभव सुनने में और व्याख्यान में पुराणों में व्याप्त है उससे आज का नवयुवक जरूर अपनाये तो कहीं आज भी मित्रता कहीं ना कहीं नवयुवकों की धड़कन बन सकती है और एक दूसरे के काम आ सकती है इस कलयुग में मित्र से बड़ा कोई नहीं होता है वास्तव में मित्र एक अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाता है और दोनो ही एक दूसरे के गुरु के रुप में और एक दूसरे के सहयोगी के रुप में एक अलग प्रकार का भाव जागृत करते हैं और मानसिक संतुलन से यहां तक की बड़ी बड़ी दुआओं से एक दूसरे को सहयोग की अपेक्षा रखते हैं यह नहीं है जो अफसर वादी हो या जो सहयोग एवं अपने स्वार्थ के लिए ही जिंदा रहे और वह स्वार्थ पर ही काम आये बल्कि परमात्मा और सुदामा की मित्रता से प्रेरणा लेकर आज की नवयुवक भी मित्रता का सहन भाव और एक रिश्ता निभा सकते है *रिपोर्ट-रोहिणी सोनी*