*शासन/प्रशासन आखिर कब गौशालाओं की हकीकत से होंगे रूबरू..?*
*आखिर प्रशासन के नुमाइंदे सच्चाई सामने लाने से क्यों कतरा रहे..?*
*गौशाला के अंदर बेजुबान गोवंशो को कुत्ते नोचने का वीडियो हो रहा वायरल।*
*आखिर क्यों नहीं होता मृत गौवंशो का पोस्टमार्टम..?*
जालौन/उरई :- सूबे की सरकार के सामने बेजुबान गौवंश एक बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए जो प्लान तैयार कर धरातल पर उतारे गए है, वह सिर्फ कागजी साबित हो रहे है। ग्राउंड पर जाकर हकीकत देखी जाए तो कोई भी प्लान सार्थक साबित नहीं हुआ है। गौशालाओं में कैद गौवंश भूख से तड़प रहे है। दो वक्त के आहार को छोड़िए यहां एक वक्त में भी गौवंश की उदर की भूख नहीं मिट रही। व्यवस्थाओं की पड़ताल की गई तो एक नहीं तमाम सवाल उठ खड़े हुए है। मृत गौवंशो का पोस्टमार्टम नहीं कराया जा रहा। बात शासन के नुमाइन्दो की हो या फिर प्रशासन के नुमाइंदों की कोई भी सच्चाई को सामने रखने का मन नहीं बना पा रहा, जिसकी वजह से सरकार की मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही।
आज के दौर में गौशाला और गौवंश दोनों ही चिंता का विषय है। हकीकत में गौशालाएं गौवंशो के लिए वह जेल साबित हो रहीं है। जहां पर भरपेट भोजन छोड़िए साहब जिंदा रहने लायक भी आहार नहीं मिल रहा। पानी के भी लाले है , गौशाला में बेजुबान गोवंश के लिए कोई उचित प्रबंध नहीं। कागज भले ही कुछ बोलते हों लेकिन हकीकत में गौवंश प्रतिदिन भूखे कुत्तों का निवाला बनकर तिल तिल मर रहे है। इसकी बानगी अभी हाल ही में नदीगांव विकास खण्ड की ग्राम पंचायत गड़ेरना में देखने को मिली है, जहां बेजुबान गोवंशो के वायरल वीडियो और फोटो बेजुबान गोवंशो की दयनीय दुर्दशा दर्शाती हैं वहीं जनपद जालौन में ओर भी कई जगह ये गौशाला में देखने को मिल जाएगी, लेकिन हकीकत को कागज पर लाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा। शासन और प्रशासन के नुमाइंदे बेजुबान गौवंशों से ज्यादा अपनों को और अपने को बचाने में जुटे है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रदेश के सीएम साहब सच्चाई से आखिर कब रूबरू हो पाएंगे या नहीं। मृत बेजुबान गौवंशो का पोस्टमार्टम होना सुनिश्चित हो जाए तो व्यवस्थाओं की सारी पोल भी स्वतः खुलनी शुरू हो जाएगी।
जालौन जिले की ग्राम पंचायतों में गौवंशो को सुरक्षित करने के लिए सरकार की ओर से गौशालाओं के बेहतर संचालन पर जोर दिया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से इस बात के कई बार सख्त निर्देश भी दिए गए और आये दिन समीक्षा बैठकें भी हो रही है। जिले की कई ग्राम पंचायते ऐसी भी हैं। जहां पर बड़े बजट से गौशाला तैयार कराई गई। इसके बाद भी वहां पर गौवंश सुरक्षित नहीं है। ज्यादातर गौशालाओं में भूसा के प्रबंध ही नहीं है। जिस संस्था को भूसा का ठेका दिया गया है वह आपूर्ति ही नहीं कर पा रहा है। नतीजा गौवंशो को दो वक्त छोड़िए एक वक्त का भी भरपेट आहार नहीं मिल रहा? ये हम नहीं कह रहे बल्कि जिसे भी ये बात गलत लगे वह कभी भी गौशालाओं का औचक निरीक्षण कर ले। गौशालाओं में बंद गौवंश भूख से तड़पते और कुत्ते नोचते नजर आ ही जायेंगे। लेकिन उन बेजुबान गोवंशो का आखिर पोस्टमार्टम ही नहीं हो रहा, उन बेजुबान गौवंश को गड्ढों में खोदकर दफना दिया जाता है।जिस वजह से उनकी दर्दनाक मौत की हकीकत सामने नहीं आ पा रही है। आने वाले समय में शीतलहर चलेगी तब क्या होगा? इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। स्थानीय विधायक हों या जनप्रतिनिधि कोई भी सच्चाई को सामने नहीं रख पा रहे है। अधिकारी भी धरातल पर जो है उससे नजरें फेरे हुए है। यही वजह है मुख्यमंत्री की मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है।
जालौन:० गौशाला में भूसा की समस्या बनी हुई है। भ्रष्टाचार में संलिप्त प्रधान /सचिव दो पैसा कमाने के चक्कर मे बेजुबान गौवंशो से खिलवाड़ कर रहे है। एक तो समय पर भूसा की आपूर्ति नही कर पा रहे और ऊपर से गेंहू का भूसा नहीं दे रहे। मिक्स भूसा की आपूर्ति की बात कही जा रही लेकिन उसमें गेंहू का भूसा वेस होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा।