रिश्वत लेने के मामले में 3 अभियुक्तों की गिरफ्तारी: वसीयतनामा बनवाने के लिए राजस्व कर्मी पर कार्रवाई
जनपद जालौन के थाना कोंच क्षेत्र में एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसमें एक राजस्व कर्मी द्वारा वसीयतनामा बनवाने के लिए रुपये की अनैतिक मांग करने पर एन्टी करप्शन टीम ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया। इस घटना ने सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और ईमानदारी की आवश्यकता को एक बार फिर से उजागर किया है। घटना थाना कोंच क्षेत्र के ग्राम परैथा की है, जहां शिकायतकर्ता राधा पटेल पत्नी स्व. शिवेन्द्र सिंह ने वसीयतनामा बनवाने के लिए संबंधित राजस्व कर्मी (कानूनगो) कृष्णा खरे से संपर्क किया था। वसीयतनामा बनाने की प्रक्रिया में शिकायतकर्ता ने बताया कि कानूनगो ने उनसे 30,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी। यह मांग पूरी तरह से अवैध और भ्रष्टाचार का प्रतीक थी।
शिकायतकर्ता ने इस संदर्भ में तत्काल कार्रवाई की मांग की और एन्टी करप्शन टीम/थाना झांसी से संपर्क किया। टीम ने शिकायत की सत्यता की जांच करते हुए एक जाल बिछाया और आरोपित को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। एन्टी करप्शन टीम ने तत्काल प्रभाव से मामले में ट्रैप लगाने की योजना बनाई। शिकायतकर्ता ने राजस्व कर्मी से मिलकर 5000 रुपये की रिश्वत देने का निर्णय लिया और इस रकम को साथ में लेकर राजस्व कर्मी के पास पहुंच गई। एन्टी करप्शन टीम ने पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड किया और जैसे ही रिश्वत की रकम ली गई, टीम ने छापा मारा और तीन अभियुक्तों को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। अभियुक्तों में से दो आरोपित राजस्व विभाग के कर्मचारी थे जबकि एक अन्य व्यक्ति जो इस भ्रष्टाचार में उनके साथ था वो भी गिरफ्तार किया गया। आरोपितों से पूछताछ की गई। जिसमें उन्होंने रिश्वत की मांग करने और लेने की पुष्टि की। इसके बाद एट पुलिस ने इस मामले में सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया और विधिक कार्यवाही शुरू कर दी। एन्टी करप्शन टीम की त्वरित कार्रवाई से आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामले दर्ज किए गए। रिश्वत लेने के आरोप में आरोपी कर्मचारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7, 13(1)(d) और 13(2) के तहत उन्हें सजा दिलाने के लिए आरोप तय किए जाएंगे। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश भेजता है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि सरकारी कर्मचारियों के द्वारा रिश्वत की मांग और उसे लेना कदापि सहन नहीं किया जाएगा। यह घटना सरकारी कार्यों में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों पर ध्यान आकर्षित करती है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का सबसे अधिक प्रभाव आम जनता पर पड़ता है जो कानून और सरकारी सेवाओं के लिए उचित शुल्क का भुगतान करने के बावजूद इसे प्राप्त करने के लिए परेशान होते हैं। सरकार और प्रशासन को इस प्रकार के भ्रष्टाचार से निपटने के लिए और भी कड़े कदम उठाने होंगे। ताकि जनता का विश्वास सरकारी तंत्र में बना रहे। इसके लिए केवल प्रशासनिक स्तर पर सख्त कानून ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। वसीयतनामा बनवाने के लिए रिश्वत मांगने के मामले में एन्टी करप्शन टीम की सफल कार्रवाई ने यह सिद्ध कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है। इस प्रकार के मामलों में नागरिकों की जागरूकता और सही शिकायत प्रक्रिया के माध्यम से भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। इस घटना के बाद उम्मीद की जा रही है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में और अधिक विश्वास बनेगा और प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी।