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जान हथेली पर रखकर उफनाई गंगा को पार करने को मजबूर झाँसी के इस गाँव के लोग:रिपोर्ट-=आयुष साहू

झाँसी। बढ़ती बारिश से जहाँ एक ओर जीवन अस्त व्यस्त हो गया तो वहीं दूसरी ओर मुख्यालय से महज 20 किमी दूरी पर बसे इस गाँव के लोग अपनी जान को हथेली पर रखकर रास्ता पार करके अपना जीवन जीने को मजबूर हैं। उन्हें आशा है तो केवल शासन-प्रशासन से एक पुल की जो उनके रास्ते को सरल और सुगम बना सके।
आज झाँसी दर्शन डॉट कॉम की टीम जनपद मुख्यालय से 20 किमी दूर बुन्देलखण्ड की गंगा वेतवा नदी के उजयान घाट पर पहुंची। जहां ग्रामवासी अपनी जान को हथेली पर रखकर भारी बारिश के बीच अपने उफान पर पहुंची वेतवा नदी को मात्र एक नाव के सहारे पार करते नजर आये। जब झाँसी दर्शन डॉट कॉम के रिपोर्टर आयुष साहू ने नाव के सहारे नदी को पार कर रहे उजयान गाँव के निवासी सुशील रायकवार सहित अन्य ग्रामवासियों से बातचीत की तो उन्होंने सरकार के वादों को झूठा बताया। उन्होंने बताया कि जहाँ एक ओर देश के प्रधानमंत्री गाँवों को हाईटेक बनाने की बात करते हैं तो वहीं मुख्यालय से केवल कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बसे उजयान गाँव के निवासी भारी बारिश में केवल नाव के सहारे उफनाई वेतवा नदी को पार करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर कभी कभी गर्भवती महिला को भी नाव से ही अपने रास्ते को पार करना पड़ता है।

ग्रामवासियों को नदी पार करा रहे केवट राघवेंद्र रायकवार ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि वह केवल पांच रुपय लेकर गांववासियों को नदी पार कराता है। जब केवट और अधिक जानकारी ली गयी तो उसने वर्षों पहले घटी घटना का जिक्र किया। उसने बताया कि करीब 20 से 30 वर्ष पहले ग्रामवासियों को नदी पार करा रही नाव हिलोरें खाकर पलट गई थी। जिसमे 22 लोग नदी की गोद में समा गये थे और उनकी मौत हो गयी थी। उसने बताया कि वह मात्र पांच रूपय में नदी पार कराता है। उजयान गाँव के निवासियों ने बताया कि वह जनवरी माह से कुछ महीनों तक ही पीपा पुल का सहारा लेकर अपना रास्ता पार करते हैं और बारिश शुरू होते ही पीपा पुल को हटा लिया जाता है और फिर ग्रामवासी नाव के सहारे ही एक छोर से दूसरे जा पाते हैं। ग्रामवासियों ने शासन-प्रशासन से पुल बनबाने की मांग की है।

रिपोर्ट-=आयुष साहू

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