झाँसी / भारतीय योग संस्थान, दिल्ली (पंजी) के मध्य प्रदेष प्रान्त का वीरागंना रानी झांसी की नगरी में निशुल्क दो दिवसीय प्रांतीय योग प्रषिक्षण षिविर का आयोजन महांनगर के अत्री गार्डन जर्मनी अस्पताल के पास में दिनांक 16-17 जून – 2018 को होने जा रहा है।
आयोजन के उद्देष पर प्रकाष डालते हुए संस्थान के मध्य प्रदेष प्रांतीय मंत्री लक्ष्मण सिंह परिहार ने प्रेस को बताया कि भारतीय योग संस्थान ’’जीओ और जीवन दो’’ के सिद्धांत पर चलता है । सबसे बड़ी बात यह है कि संस्थान इस पुन्य कार्य के लिए कोई शुल्क नही लेता। षिविर आयोजन के माध्यम से षिक्षकों, सहायक षिक्षक व साधकों को योग की क्रियाओं को विधि अनुरूप करने के साथ अनेक लाभकारी जानकारियाँ साझा की जाती हैं। संस्थान के राश्ट्रीय अधिकारी संस्थापक प्रकाष लाल के बताये मार्ग को प्रषस्त करने में कोई कसार नहीं छोड़ना चाहते । इसी क्रम में राश्ट्रीय महामंत्री देषराज जी झाँसी के इस षिविर में सम्मिलित होकर मार्गदर्षन करेंगे । झाँसी जिले के प्रधान रविन्द्र कुमार त्रिवेदी का लम्बे समय से चल रहा प्रयास झाँसी जिले में दो दिवसीय योग प्रषिक्षण षिविर की अनुमति संस्थान से मिलने पर सफल हो गया। मध्य प्रदेष प्रान्त के इस आयोजन में प्रांतीय अधिकारिओं का भरपूर सहयोग मिला है । जनपद में 15 योग केन्द्रों का निःशुल्क संचालन संस्थान के षिक्षकों द्वारा हो रहा है जिससे साधकों को निरोगी काया का लाभ मिल रहा हैं । जनपद में और भी नए केन्द्रों की षुरूआत करने में हमारे अधिकारी और षिक्षक अपनी सकिय भूमिका के साथ सराहनीय प्रयास कर रहे है । भारतीय योग संस्थान के इस दो दिवसीय प्रांतीय योग प्रषिक्षण षिविर में लगभग पांच सौ की संख्या में साधको की उपस्थिति रहेगी । जिनका पूर्व से ही पंजीकरण किया जा चुका है। जिसमें स्थानीय लगभग तीन सौ व मध्य प्रदेष प्रान्त के अन्य जनपदों से लगभग दो सौ साधकों के लिए प्रषिक्षण की व्यवस्था की गयी है। यो षिविर में प्रमुख रूप् से महानगर के केंद्र प्रमुख, षिक्षक, सहायक षिक्षक व नियमित साधकों को सम्मिलित किया गया है ।
परिचय : प्रकाश लाल जी
सर्वे भवन्तु सुखिनः’ एवं वषुधैव कुटुम्बकम अपना आदर्ष बनाकर तथा जीओ और जीवन दो के सिद्धातं के अनुरूप उन्होंने पूरा जीवन भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में लगा दिया । योग जो केवल आश्रमों तक सीमित था उसे घर-घर पहुचाने का उन्होंने भागीरथ प्रयास किया जिसकी गंगा आज भी अनवरत बह रही है । 10 अप्रैल 1967 को श्रधयेय प्रकाशलाल जी ने दिल्ली विष्वविद्यालय के पास पहाड़ी पर बाउन्टे वाले पार्क में प्रथम योग केन्द्र कि स्थापना की । प्रकाश लाल जी को प्रथम योग केंद्र आरम्भ करने की प्रेरणा बिहार के मुंगेर में योग विद्यालय के स्वामी सत्यानन्द जी सरस्वती तथा षिवानन्द पब्लिक स्कूल गोंदिया (महाराश्ट्र) की श्रध्येय माँ योग षक्ति पीट से मिली। स्वामी जी व माता जी कुछ विदेषी षिश्यों सहित दिल्ली आये। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि अब विदेषी भारतीय को योग सिखायेंगे। यह बात सुनकर प्रकाष लाल जी के मन में यह भाव आया कि भारत की योग विद्या को विदेषी लोग आकर सिखायेंगे। भारतीय क्यों नही, इस घटना से प्रेरित हो 10 अप्रैल 1967 को श्रध्येय श्री प्रकाष लाल जी ने दिल्ली विष्वविद्यालय के पास पहाड़ी पर बाउन्टे वाले पार्क में प्रथम योग केन्द्र कि स्थापना की। 30 जुलाई, 2010 को, 89 वर्श कि आयु में, श्रध्येय प्रकाश लाल जी अपना पार्थिव षरीर छोड़ ब्रह्यलीन हो गए, साधक इस दिन को अब स्मृति दिवस के रूप् में मानतें हैं। ब्रह्मलीन होने के 20 दिन पूर्व 10 जुलाई 2010 को संस्थान को गति प्रदान करने वाला उनका अंतिक सन्देष था ’’आज हमारा समाज निश्प्राण दिखता है ।