एरच झांसी! सरकार कोई भी हो मगर किसानों की परवाह किसी को नहीं है जिसका सबसे बढ़ा उदाहरण एरच सहित समूचे बामौर बलाॅक में देखने को मिल जायेगा जहां पर पानी के अभाव में आज हजारों एकड़ जमीन बंजर पड़ी है और अन्नदाता कहलाने बाला किसान दाने दाने को मोहताज है तो कोई रोजी रोटी की तलाश में देश के अन्य हिस्सों में रहकर मजदूरी कर रहा है और किसानों पर राजनीति करने बाले नेतागण खूब फल फूल रहे हैं।
गौरतलब हो किसानों के द्वारा कई बर्षाे से लगातार मांग की जाती रही है की अगर उनके सूखे े खेतों को पानी मिल जाये तो उनकी गरीबी दूर हो जायेगी लेकिन हर बार उनको आश्वासन का पिटारा थमा दिया गया की पानी की समस्या का समाधान करा दिया जायेगा लेकिन आज तक कोई समस्या का समाधान नहीं किया गया कई बार तो कर्ज बोझ तले किसानों ने मौत तक को गले लगा लिया लेकिन इसके बाद भी कोई कारगर कदम सरकार या फिर उनके नुमाइन्दों के द्वारा नहीं उठाये गये हैे। जिससे किसानों के सामने एक बार फिर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
अगर किसानों की बातों पर गौर किया जाये तो किसानों का कहना है की उनकी कोई सुनने बाला नही है पूर्व सरकार द्वारा एक प्रयास किया गया था और बेतबा नदी पर एक बांध की आधार शिला रखने खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व सिचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव 19 मई 2015 को एरच आये थे और उन्होने एलान किया था की बांध का निर्माण जल्द हो जायेगा लेकिन जैसे ही प्रदेश में निजाम बदला और बांध का निर्माण कार्य बन्द हो गया किसानों का कहना है की एरच बहुउद्देशीय बांध परियोजना का काम बन्द होने से उनके उम्मीदों के दरबाजे भी बन्द हो गये हैं।
रिपोर्ट – रोहिणी सोनी एरच
Edit – Dherendrarayakwar