प्रेमनगर पुुलिस ने दबंगों के साथ मिलकर अन्याय न किया होता तो कौशल शाक्या को जान नहीं गंवानी पडती
झांसी। थानाध्यक्ष प्रेमनगर ने दलित युवक के न्याय किया होता तो उसको गले में फंदा डाल कर अपनी जान देने की नौबत न आती। पुलिस की एक तरफा कार्यवाही और अभियुक्तों की दबंगी के कारण कहीं से भी न्याय और सुरक्षा न मिलने की उम्मीद से युवक ने गले में फंदा डाल कर आत्म हत्या कर ली। उसके मरने के बाद भी पुलिस ने अभियुक्तों को बचाने में कोई कसर नहीं छोडी और पीडित पिता पर कम से कम दो लोगों के ही नाम एफआईआर तहरीर में देने का दबाब बनाया। जिससे इस घटना में शामिल अन्य अभियुक्त बच गए। पीडित पिता और परिवारजनों ने एसएसपी, डीआईजी, डीएम, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जन जाति आयोग को प्रार्थना लिखकर विवेचना में सभी अभियुक्तों के नाम जोड कर कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।
ईसाईटोला थाना प्रेमनगर निवासी जयप्रकाश शाक्या ने एसएसपी जे.के. शुक्ला और डीआईजी. जवाहर, डीएम कर्ण सिंह चैहान को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की मांग करते हुए कहा है कि उसके 26 वर्षीय पुत्र कौशल शाक्या उर्फ करन को ईसाई टोला खाती बाबा की रहने वाली सपना ठाकूर ने अपने प्रेमजाल में फंसा लिया था। उसके बाद उन्होंने शादी कर ली। शादी के बाद कौशल शाक्या अपनी नानी के घर ईसाई टोला में ही रहने लगा। जब कौशल शाक्या काम पर चला जाए तो उसके मायके के लोग उसके घर आकर दिन में रूके रहे और खान पान करे। इससे उसके घर में एक माह का खान पान का सामान एक सप्ताह में समाप्त होने लगा। जब वह परेशान होने लगा तो उसने इस संबंध में उसने अपनी पत्नी कहा तो वह नाराज होने लगी। जब वह नहीं आते थे तो उसकी पत्नी स्वयं मायके चली थी। इस तरह वहां कौशल को परेशान किए जाने का षडयंत बनने लगा। 18 अगस्त 17 को कौशल के ससुराली जनों में पत्नी सपना ठाकूर, भाई, बहिने, मौसी, मौसी की लडकियां आदि एकत्र होकर एक राय होकर उसके नानी के घर आए और मारपीट शुरू कर दी।इस दौरान कौशल शाक्या और उसकी नानी को चोटें आई थी। फिर भी ससुरालीजनों को ठण्डक नहीं मिली तो उन्होंने उसे प्रेमनगर थाने में थानाध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह चैहान से मिलकर धारा 151 सीआरपीसी के तहत बंद करा दिया। पुलिस ने उसको पीट कर हवालात में बंद कर दिया।पुलिस ने कार्रवाही में अन्याय करते हुए एक तरफा कार्रवाई की थी। इससे विरोधियों के हौसले बड गए। उन्होंने मृतक को और उत्पीडन करना शुरू कर दिया। 24 अगस्त 17 को उसको फिर नीम बाली माता मंदिर के पास उपरोक्त लोगों ने ले जाकर उसकी मारपीट की। जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया। जान से मारने की धमकी दी। उससे 5 लाख रूपया अवैध तरीके से मांग की। मृतक ने इस बात की जानकारी अपने माता पिता और नानी को दी। उन्होंने सुबह पुलिस में शिकायत करने का भरोसा दिया लेकिन वह पुलिस अन्याय से घबरा चुका था। उसने इस उत्पीडन से तंग आकर 25 अगस्त 17 को गले में फंदा डाल कर आत्महत्या कर ली। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने रिपोर्ट में सभी आरोपीगणों के नाम लिखकर देने में आपत्ति की थी। पुलिस ने नाम सभी अभियुक्तों के नाम तहरीर में देने पर आपित्त की थी और रिपोर्ट दर्ज करने से इंकार किया था। जिससे पुलिस ने 29 अगस्त 17 को सपना ठाकूर और उसके भाई आकाश ठाकूर के खिलाफ धारा 306 आईपीसी और 3,2,5 एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया। जबकि मृतक के पिता जयप्रकाश ने इस घटना में दुष्पे्ररण करने, उत्पीडन करने वालों के सभी अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी। इस प्रकार तत्कालीन थानाध्यक्ष ने सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई न करके उनको बचाने का कार्य किया जिससे पीडित परिवार ने एसएसपी, डीआईजी, डीएम, राष्ट्रीय एससीएसटी आयोग को प्रार्थना पत्र भेजकर सभी आरोपियों पर विवेचना में नाम जोडकर कार्रवाई करने की मांग की है।