लेखपाल की मौत पर प्रशासन की लीपापोती के आरोप: मोंठ तहसील के लेखपालों का प्रदर्शन, गूंजा ‘पहले एफाईआर फिर एसाईआर’ नारा
झांसी। फतेहपुर जनपद में लेखपाल सुधीर कुमार की मौत के मामले में जिला प्रशासन और पुलिस पर गंभीर आरोप लगने के बाद प्रदेशभर के लेखपालों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। मृतक के परिजनों और साथी लेखपालों का कहना है कि प्रशासनिक असंवेदनशीलता, जांच में देरी, मुख्य आरोपियों को बचाने की कोशिश और लीपापोती ने मामले को और गंभीर बना दिया है। मोंठ तहसील में तहसील अध्यक्ष लेखपाल सुरेंद्र कुमार प्रजापति की अगुवाई में लेखपालों ने शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया। दिन भर चले धरना समाप्त होने के बाद लेखपाल सुधीर कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए धरना स्थल पर मौन रखा गया।
अधिकारियों की धमकियों और प्रताड़ना ने छीनी एक युवा की जिंदगी
25 नवंबर 2025 को 2024 बैच के युवा लेखपाल सुधीर कोरी ने आत्महत्या कर ली। उनकी शादी अगले दिन 26 नवंबर को होनी थी, लेकिन साथियों और परिजनों के अनुसार वे लगातार मानसिक दबाव और अधिकारियों की प्रताड़ना से बेहद परेशान थे। परिवार का आरोप है कि छुट्टी न देने, लगातार धमकियां देने और 25 नवंबर की सुबह राजस्व निरीक्षक द्वारा घर जाकर एसडीएम की ओर से बर्खास्तगी की चेतावनी देने जैसी घटनाओं ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया था। साथी लेखपालों का कहना है कि कार्यस्थल पर जिस प्रकार का व्यवहार सुधीर को झेलना पड़ा, वह किसी भी संवेदनशील और जिम्मेदार प्रशासनिक व्यवस्था के लिए शर्मनाक है।
एफआईआर में देरी, तहरीर बदलवाने और मुख्य आरोपी का नाम हटाने का आरोप
घटना के बाद परिजनों ने प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि दिए गए आरोपपत्र पर कार्रवाई करने में पुलिस ने लगभग 30 घंटे का समय ले लिया। जब परिजन न्याय की मांग करते हुए शव का पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार करने से इनकार करते रहे, तब प्रशासन ने दबाव बनाकर तहरीर बदलवाने की कोशिश की। एफआईआर दर्ज होने के बाद भी परिजन आहत हैं, क्योंकि उनके अनुसार मुख्य आरोपी का नाम रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। केवल राजस्व निरीक्षक को ही नामजद किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने और मामले को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।
धरना अब शाम 5 बजे तक, श्रद्धांजलि भी शामिल
लेखपाल संगठन ने मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया है कि मृतक के प्रति न्याय की लड़ाई को मजबूती देने के उद्देश्य से 28 नवंबर को होने वाला धरना सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक जारी रहेगा। धरना समाप्ति के बाद सभी लेखपाल दिवंगत सुधीर की आत्मा की शांति के लिए मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। संगठन ने यह भी संकेत दिया है कि न्याय मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा और किसी भी प्रकार के दबाव में पीछे नहीं हटेंगे।
मोंठ तहसील में भी लेखपालों का रोष, पुराने प्रकरणों में लटकी कार्रवाई से असंतोष बढ़ा
फतेहपुर की घटना का असर झांसी जिले के मोंठ तहसील में भी देखा जा रहा है। मोंठ तहसील अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रजापति ने बताया कि यहां भी अधिकारियों का व्यवहार लेखपालों के प्रति संवेदनशील नहीं है और कई मामलों में अधिकारी उत्पीड़न करते पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि महिला लेखपाल आरती के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि का प्रकरण पिछले छह महीने से लंबित है, जबकि तहसीलदार ने उनके काम को पहले ही सही ठहराया था, इसके बावजूद उनकी फाइल को आगे नहीं बढ़ाया गया। इसी प्रकार लेखपाल उदय यादव को लगभग चार वर्ष तक कार्रवाई का सामना करना पड़ा और इस दौरान उनका इंक्रीमेंट रोक दिया गया। कई लेखपालों के प्रकरण बिना किसी ठोस कारण के महीनों तक लटके रहते हैं, जिससे पूरे स्टाफ में निराशा और भय का माहौल बन गया है।
न्याय की मांग पर अडिग लेखपाल
प्रदेशभर के लेखपाल संगठन ने स्पष्ट कहा है कि मृतक सुधीर के परिवार को न्याय दिलाने, दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने, परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने और मौजूदा तंत्र में सुधार लाने की मांग को लेकर वे किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई और दोषियों को बचाने की कोशिश जारी रखी, तो आंदोलन प्रदेश-स्तर पर और भी व्यापक स्वरूप ले सकता है।
सुधीर कोरी की मौत ने न केवल एक परिवार को बर्बाद किया, बल्कि पूरे लेखपाल समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन इस मृत्यु के पीछे के कारणों की निष्पक्ष जांच करेगा, या फिर यह मामला भी अन्य संवेदनशील मामलों की तरह फाइलों के ढेर में दब जाएगा।