बुंदेलखंड विश्वविद्यालय तथा हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेला एवं अंतरराष्ट्रीय सृजनात्मक लेखन कार्यशाला एवं संगोष्ठी के चौथे दिन सेवानिवृत आईएएस प्रमोद कुमार अग्रवाल ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जितना बल लगाएंगे लेखनी पे उतना ही अच्छा रिजल्ट आएगा। प्रमोद अग्रवाल ने कहा, “मेरी कहानियां समाज जुड़ी हुई हों और कहीं न कहीं समाज का अच्छा स्वरूप हो। मैने किसानों, दुकानदारों, गांवों, माफिया, चुनाव इत्यादि जैसे मुद्दों पर लिखा है, जो पाठकों को काफी पसंद आया है। अगर आप लेखक बनाना चाहते हैं, तो आपको त्याग करना पड़ेगा। आपकी आत्मा जो बोलेगी वही शाश्वत होगा।”
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आए मशहूर कवि डॉ. विनम्र सेन सिंह ने कहा, “कवि सम्मेलन के गीतकार के साथ कोई तबला हरमोनियम नहीं होता है उसे अपनी सारी कला अपने कंठ से ही दिखानी पड़ती है। लोग सोचते होंगे की लेखन के प्रति रुझान हो तो आगे बढ़ सकते हैं, तो मैं आपको बता दूं कि आप असिस्टेंट प्रोफेसर होते हुए साहित्य में चमत्कार नहीं कर सकते। आप कुमार विश्वास हो सकते हैं, पर तुलसीदास नहीं हो सकते। आपको बहुत त्याग करना होगा, तपस्या करनी होगी, बहुत कुछ सीखना और पढ़ना होगा, तब आप कहीं जाकर आप एक अच्छे साहित्यकार बन पाएंगे।”
विशिष्ट अतिथि ने कहा कि कहानीकार शब्दों से ध्वनि पैदा करता है। कहानी वही है जिसमें मन के आवेग को शब्दों में परिवर्तित कर दिया जाए। कहानी अगर पाठकों के मन को छू जाए तभी वह सार्थक है। कार्यक्रम में निहाल चन्द्र शिवहरे ने भी सृजनात्मक लेखन पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री पवनपुत्र बादल ने कहा कि कभी विज्ञान के लिए प्रसिद्ध बुंदेलखंड विश्वविद्यालय आज पूरे देश में हिंदी के सरोकारों के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने युवाओं से कहा,” आज हमें यह तय करना होगा कि लिखना क्या है और समाज समझना क्या चाहता है। आप सकारात्मक लिखिए। परिवार के प्रति समर्पित रहिए। भारतीय परिवार व्यवस्था ही भारत को मजबूत करेगा। भारत की खुबसूरती उसकी स्वच्छंदता में है। इसे बरकरार रखिए।” सत्र का संचालन व अतिथियों का स्वागत प्रो मुन्ना तिवारी ने किया। आभार नवीन चंद्र पटेल ने ज्ञापित किया।
सांस्कृतिक संध्या में हुए कवि सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक अखंड प्रताप ने अपनी मशहूर कविता “मां का खत आया है” का पाठ किया। इसके साथ ही उन्होंने ओज और हास्य रस की कविताएं भी सुनाई। “राम नहीं सीता हूं” कविता के माध्यम से उन्होंने महिलाओं की पीड़ा को भी श्रोताओं के सामने रखा। इलाहाबाद से पधारे कवि विनम्र सेन सिंह ने युवाओं को अपनी कविता से मंत्रमुग्ध कर दिया। “हम प्रेम लिखे बैठे हैं”, “हो ऐतबार तब किसी से क्या डरना, प्यार हो जाए तो प्यार हो करना चाहिए”, “उस लड़की का चांद से चेहरा” जैसी कविताओं से उन्होंने युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।