मेडिकल वाइपास ओवर ब्रज के नीचे हुई महिला सरपंच व उसके पति और बच्चों की गोलियां से भूनकर हत्या के मामले में पांच अभियुक्त हुए दोषी साबित,-रिपोर्ट, उमाशंकर
झांसी। प्र्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुशील कुमार के न्यायालय ने चौहरे हत्याकांड में आरोप साबित होने पांच अभियुक्तों को हत्या के आरोप में दोष साबित कर दिया है। सजा के प्रश्न पर अदालत 17 को फैसला सुनाएगी।
अभियोजन के अनुसार नीरज तिवारी पुत्र रामप्रकाश तिवारी निवासी सिंदूर सागर पोस्ट कुडार थाना सेंदरी जिला टीकमगढ म0प्र0 ने थाना नवाबाद में तहरीर बताया था कि 19 जनवरी 14 को समय करीब 3 बजे दिन को वह अपने चाचा ब्रजेश पुत्र प्रेमनारायण व चाची बबली तिवारी पत्नी ब्रजेश तिवारी, मयंक पुत्र अनिल तिवारी व सुनीत पुत्र ब्रजेश तिवारी के साथ निवाडी से उमाशंकर द्विवेद्वी के यहां से पिछोर आ रहा था। वह अपनी गाडी से थे। उसके चाचा गाडी नवम्बर एमपी 36 सी 1177 उनकी गाडी के आगे चल रहे थे। वह अपनी गाडी से पीछे चल रहे थे। उसके साथ मनीष शर्मा पुत्र प्रमोद शर्मा भी थे। मेडिकल बाइपास पिछोर फलाई ओबर के नीचे सिर्विस लाइन तक पहंुचे तभी गांव के ओमप्रकाश अरजरिया, पुत्र रामस्वरूप, सत्यवृत अरजरिया पुत्र ओमप्रकाश अरजरिया, हरिओम अरजरिया पुत्र रामस्वरूप, ओमकार पुत्र रामस्वरूप, नाजिर खां पुत्र रसूल खां, तौफीक खां, पुत्र रूस्तमा खां, तेज सिंह पुत्र श्रीपत, पप्पू पुत्र सरू खंगार व 3 अज्ञात लोग निवासी गण कुडार सेंदरी अपनी गाडी से आए उसके चाचा की गाडी को रोककर हरिओम अरजरिया, ने 315 बोर रायफल, सत्यवृत ने दुनाली बंदूक व अन्य सभी लोग कट्टा व अद्दी लेकर आए और सभी लोगों ने मिलकर चाचा चाची और बच्चों को गोली मारकर हत्या कर दी। वह गोलियांे की आबाज सुनकर गाडी में दुबक गए। और मौके से भाग गए। उक्त घटना पुरानी रंजिश के कारण कारित की है। उसने बताया है कि कुछ लोगों ने उस पर 24 दिसम्बर 13 को जानलेवा हमला कर चुके है। जिस पर देवृत्त अरजरिया जो जेल में है उसने गांव के कुछ लोगों से खबर भिजवाई की नीरज , ब्रजेश से कहना कि उक्त मुकदमें में राजीनामा कर ले अन्यथा तुम्हें तुम्हारे परिवार को जेल में रहकर ही मरवा देगें।
घटना में मरने वालों के नाम
1मयंक तिवारी पुत्र अनिल तिवारी उम्र 12 वर्ष,
2 ब्रिजेश तिवारी उम्र करीब 34 वर्ष,
3 सुनील उर्फ भैया उम्र करीब 14 वर्ष
4श्रीमती बबली पत्नी ब्रजेश तिवारी
न्’यायालय ने इस प्रकारण में 6 सत्र परीक्षण को समेकित करके मुख्य सत्र परीक्षण संख्या 156 सन 2014 बनाया।
इस मामले में अभियुक्त मयंक उर्फ सानू की पत्रावलि हाईकोर्ट से स्टे के कारण अलग कर दी गई हैं ।
दौरान मुकदमा अभियुक्त सत्यवृत अरजरिया की मृत्यु हो गई।
दो अभियुक्तों पर आरोप साबित न होने पर अदालत ने उनको बरी कर दिया है।
न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत होने के बाद पुलिस अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी महेंद्र सिंह ने अदालत के समक्ष ठोस प्रमाण प्रस्तृत किए जिससे आरोपियों दोष साबित हो गया।
न्यायालय ने तौफीक खां और नाजिर को उनके विरूद्व लगाए आरोप में साबित न होने पर दोष मुक्त कर दिया ।
न्यायाधीश सुशील कुमार ने धारा 302, 147,148,149,आईपीसी में अभियुक्त हरिओम अरजरिया, ओमकार, ओमप्रकाश, पप्पू, तेज सिंह को दोषी पाया हैं।
हरिओम अरजरिया को धारा आर्म्स एक्ट में दोषी पाया है। तेज सिंह को 3/ 25 में दोषी पाया है।
7 क्रिमनल लॉ अमेेंण्डमेंट एक्ट में आरोप साबित न होना नहीं पाया गया है।
सभी अभियुक्तों की सजा के न्यायालय ने 17 तारीख नियत की है।
neeraj sahu….