कलेक्टरेट परिसर में बंदरों का आतंक, वकील, वादकारी और कर्मचारी दहशत में
झाँसी । कलेक्टरेट परिसर में इन दिनों बंदरों का भारी आतंक छाया हुआ है। बंदरों की बढ़ती संख्या और आक्रामक रवैये के कारण वकील, वादकारी और कर्मचारी भयभीत हैं। दिन हो या शाम, बंदरों के झुंड कभी भी हमला कर देते हैं, जिससे लोग लगातार असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
कई बार बंदर कार्यालयों में घुसकर कागजात और जरूरी फाइलें फाड़ देते हैं। कुछ मामलों में, वकीलों और वादकारियों के हाथ से खाने-पीने की चीजें छीनने की घटनाएँ भी सामने आई हैं। इससे न केवल लोग परेशान हैं, बल्कि उनके दैनिक कार्य भी बाधित हो रहे हैं।
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि कई लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। वन विभाग को कई बार इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। प्रशासन की उदासीनता से परिसर में काम करने वाले लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।
वकीलों और कर्मचारियों की माँग
कलेक्टरेट में काम करने वाले वकीलों और कर्मचारियों ने प्रशासन से तत्काल इस समस्या के समाधान की माँग की है। वे चाहते हैं कि वन विभाग विशेष अभियान चलाकर बंदरों को यहाँ से हटाए और परिसर को सुरक्षित बनाए।
विरोध की चेतावनी
अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वकील और कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
पूर्व उपाध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ झाँसी, एडवोकेट विकास यादव ने कहा कि कलेक्टरेट परिसर में बंदरों का बढ़ता आतंक चिंता का विषय है। वकील, वादकारी और कर्मचारी इस समस्या से परेशान हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि वन विभाग को निर्देश देकर जल्द से जल्द बंदरों को यहाँ से हटाने की व्यवस्था की जाए, अन्यथा वकील संघ इसके खिलाफ कड़ा कदम उठाने को मजबूर होगा।