बुन्देलखण्ड क्षेत्र की हस्तशिल्प विरासत के संरक्षण एवं शोध की समिति गठित*
हस्तशिल्प व लघु उद्योग धंधों के उन्नय व संरक्षण की आवश्यकता : मण्डलायुक्त
हस्त शिल्प पर दीर्घकालिक कार्ययोजना की जरूरत
रानीपुर के कपड़ा उद्योग के संरक्षण व संवर्धन के लिए बनेंगे प्रस्ताव*
हस्तशिल्प प्रदर्शनी का होगा आयोजन
झाँसी: बुन्देलखण्ड क्षेत्र (झाँसी मण्डल) की सांस्कृतिक, साहित्यक, एतिहासिक व अन्य विरासत के संकलन, संरक्षण, अनवेषण एवं शोध हेतु गठित समितियों में से एक ‘हस्तशिल्प एवं उद्योग धंधों से संबंधित विंग की बैठक मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में झाँसी मण्डल के हस्तशिल्प एवं उद्योग धंधों के क्षेत्र में रूचि रखने वाले प्रबुद्ध नागरिक, उपायुक्त उद्योग तथा संबंधित विभागों के मण्डल स्तरीय अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
मण्डलायुक्त डॉ अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि हस्तकला एक ऐसी विद्या है जिसे मुख्यत: हाथ से या सरल औजारों की सहायता से ही कलात्मक कार्य किये जाते हैं। ऐसी कलाओं का सांस्कृतिक महत्त्व होता है। भारत हस्तशिल्प का सर्वोत्कृष्ट केन्द्र माना जाता है। यहाँ दैनिक जीवन की सामान्य वस्तुएँ भी कोमल कलात्मक रूप में गढ़ी जाती हैं। इस महत्व को दृष्टिगत रखते हुए बुंदेलखण्ड में हस्तशिल्प व लघु उद्योग धंधों के उन्नय व संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किये जायें।
बैठक के दौरान बुन्देलखण्ड क्षेत्र में संचालित हस्त शिल्प एवं उद्योग धंधों की स्थिति पर चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने बताया कि झाँसी मण्डल के कुछ क्षेत्रों में हैण्डलूम संचालित थे परन्तु समय के साथ-साथ उनके उत्पादन स्तर में गिरावट आई है। इस क्षेत्र के निवासी मूलत: कृषि व्यवसाय पर ही आश्रित हैं परन्तु प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित न होने के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है। झाँसी मण्डल के जनपद ललितपुर के ब्लाक जखौरा में पीतल के बर्तन व स्मृति चिन्ह बनाये जाने का कारोबार किया जाता है। झाँसी जनपद की मऊरानीपुर तहसील व ललितपुर जनपद के कुछ हिस्सों में हथकरघा का कार्य प्रचलन में है परन्तु संरक्षण के बिना ये लुप्त होने की कगार पर है।
मंडलायुक्त ने बताया कि हस्त शिल्प एवं उद्योग धंधों की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए मण्डल स्तर पर ‘हस्त शिल्प एवं उद्योग धंधों की समिति गठित की जायेगी। इस समिति में संबंधित विषय के विषय विशेषज्ञ, रूचि रखने वाले प्रबुद्ध नागरिकों/उद्यमियों को सम्मलित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि यह समिति झाँसी मण्डल के हस्त शिल्प एवं उद्योग धंधों पर दीर्घकालिक कार्ययोजना बनाकर सुधार हेतु व्यापक स्तर पर कार्य करेगी। इस दीर्घकालिक कार्ययोजना से कुछ ऐसी गतिविधियों को चुना जाये जो स्थानीय उद्यमियों के सहयोग से व्यापक रूप ले सकें तथा कुछ ऐसी गतिविधियाँ भी चुनकर ऐसे प्रस्ताव बनाये जायें जिससे उ.प्र. सरकार के संबंधित विभागों से वित्त पोषण पर विचार हो सके।
उन्होंने बताया कि समिति का मूल उद्देश्य बुंदेलखण्ड विशेष रूप से झाँसी मण्डल में हस्तशिल्प एवं उद्योगों के विस्तार के लिए सकारात्मक वातावरण सृजित हो तथा यहाँ के शिल्पियों का उन्नयन संभव हो सके।
बैठक में सर्वेश कुमार उपाध्यक्ष- जेडीए, डा. नीति शास्त्री, डा. डी.के. भट्ट, धीरज खुल्लर, श्रीमती कामिनी बघेल, प्रदीप प्रजापति, श्रीमती इन्दु शर्मा आदि उपस्थित रहे। बैठक का संचालन मण्डलीय परियोजना प्रबंधक एन.एच.एम./सिफ्सा आनन्द चौबे ने किया।
हस्तशिल्प व लघु उद्योग धंधों के उन्नय के लिए ये कार्य होंगे*
1. तीनों जनपदों के हस्तशिल्प एवं उद्योग धंधों के क्षेत्रों को चिन्हित कर एक डायरेक्टरी का प्रकाशन ।
2. ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ की प्रगति का मूल्यांकन, यदि आवश्यक हो तो उत्पाद के परिवर्तन हेतु औचित्यपूर्ण प्रस्ताव तैयार कराते हुए राज्य मुख्यालय को भेजे जायें।
3. चेम्बर ऑफ कामर्स के प्रतिनिधियों के सहयोग से विभिन्न प्रसोसिंग यूनिट की स्थापना की संभावनाओं का पता लगाया जाये ।
4. ललितपुर जनपद के जखौरा क्षेत्र में पीतल के बर्तन/स्मृति चिन्ह के कारोबार को ‘स्केल-अप’ कराये जाने की दिशा में कार्य।
5. रानीपुर के कपड़ा उद्योग के संरक्षण व संवर्धन के लिए संबंधित विभाग द्वारा एक प्रस्ताव तैयार कराया जाये। प्रस्ताव में समस्याओँ एवं संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी संकलित ।
6. हथकरघा संवर्द्धन सहायता के अंतर्गत तकनीक में सुधार और आधुनिक औज़ार व उपकरण खरीदने में सरकारी सहायता की योजनाओँ का प्रभावी क्रियान्वयन कराया जाये। हथकरघा योजना के अंतर्गत सरकार 90 प्रतिशत लागत का बोझ उठाकर बुनकरों को नए करघे खरीदने में सहायता करती है। पात्र लाभार्थियों को इस योजना का लाभ पहुँचाने के विशेष प्रयास किये जायें।
7. हस्तशिल्प एवं कुटीर उद्योगों से जुड़े कर्मियों को श्रम विभाग की विभिन्न योजनाओं से जोड़ने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाये।
8. शिल्पियों द्वारा बनायी जा रहीं विभिन्न सामग्रियों के प्रदर्शन हेतु एक ‘प्रदर्शनी/हस्तशिल्प उद्योग मेला’ का आयोजन किया जाये। इस प्रदर्शनी में झाँसी मण्डल के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कराया जाये, जैसे- माटीकला, मूर्तिकला, बांस से निर्मित सामग्री, हैण्डक्राफ्ट आदि । बुनकरों और कारीगरों के निर्मित उत्पादों को बाज़ार तक पहुँचाने में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए कुछ शिविरों में निर्यात/शिल्प बाज़ार/बायर-सेलर्स मीट भी कराई जाये।