मित्रता हो ऐसी श्रीकृष्ण-सुदामा जैसी : शास्त्री
झाँसी। सीपरी बाजार स्थित प्राचीन लहर की देवी मंदिर के प्रांगण में चल रहे शतचण्डी महायज्ञ में यज्ञाचार्य पं. उदय शंकर तिवारी द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण से यज्ञवेदी से आहुतियां डलवायी जा रही है। वहीं संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा व्यास पं.राजेश शास्त्री ने कथा आरंभ करते हुये सुदामा चरित्र की कथा सुनाई। कथा सुनाते हुये उन्होंने कहा कि सुदामा और कृष्ण बचपन के सखा थे एक बार सुदामा की पत्नी सुशीला ने भी मुठ्ठी चने खाने को दिये तो दोनों मित्र सखा खा लेना सुदामा जी ने अकेले दोनों मुठ्ठी चने खा लिये, चने एक श्रापित थे, संत ने एक श्राप दिया था कि जो भी दो मुठ्ठी चना खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा। सुदामा ने अपने प्रिय मित्र कृष्ण को दरिद्रता से बचाने के लिए दोनों मुठ्ठी चने अकेले ही खा लिये, तब से उनके जीवन में दरिद्रता आ गई। इतनी दरिद्रता की हर रोज एकादशी का व्रत ही होता था। जबकि लोगों के यहां महीने में दो दिन एकादशी का व्रत होता है। पत्नी सुशीला के कहने पर सुदामा मित्र कृष्ण से मिलने द्वारिकापुरी पहुंचते हैं और द्वारपालों से कहते हैं कि अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, कि सुदामा तुम्हारे दर पर खड़ा है। इतना सुनते ही कृष्ण नंगे पैरों दौड़े चले आये और सुदामा को अपने सीने से लगा लिया। महल में ले जाकर अपने सिंहासन पर बैठाया और अपने आंसुओं से अपने मित्र सुदामा के चरण धोये। अब अद्भुत प्रेम था सुदामा और कृष्ण की मित्रता ऐसी किसी ने नहीं देखी। कथा व्यास पं. राजेश शास्त्री ने भागवत कथा के दौरान होली का प्रसंग सुनाते हुये भजन गाया-होली खेले बांके बिहारी, रंग बरस रहे हैं आज ब्रज में प्रसंग सुनाया। कथा में महामण्डलेश्वर प्रकाशनंद जी गिरि महाराज श्रीगुरू आश्रम कल्यण शिव रोड, नेतिबलि कल्याण पूर्व मुख्य अतिथि रहे। कथा में मुख्य रुप से श्री मोहन गिरि महाराज लहर की देवी, महंत ओमगिरि महाराज गंगनानी गंगोत्री उत्तराखण्ड, डा. योगानन्द गिरि महाराज मिर्जापुर, थानापति महंत श्रीराम अवतार गिरि महाराज ग्वालियर चंबल संभाग, आनंद गिरि महाराज नागा फक्कड़ बाबा सैंयर पहाड़, महेन्द्र गिरि महाराज, केदाश्वर गिरि महाराज उज्जैन महाकाल, सूर्यनारायण गिरि महाराज, बलराम गिरि महाराज, रविन्द्र गिरि महाराज करेरा आदि संत मौजूद रहे।
मित्रता हो ऐसी श्रीकृष्ण-सुदामा जैसी : शास्त्री
