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दाने-दाने को मोहताज है गरीब बुंदेलखंड के लोग,देखभाल ना होने और अधिकारियों की लापरवाही से हो रहा है अन्न बर्बाद:रि,यशपाल

झांसी – हर साल उत्तर प्रदेश में हजारों करोड़ रुपए का अनाज बर्बाद हो जाता है। एक ऐसे प्रदेश में जहां करोड़ों की आबादी को दो वक्त का ठीक से खाना नसीब नही होता, वहां इतनी मात्रा में अनाज की बर्बादी किस तरह की कहानी क्या व्यां करती है ऐ तो आप ही समझ सकते है, मामला झाँसी जिले के समथर सहकारी संघ का है, जहां कुन्तलों गेहूँ सड़ रहा है, सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज को खुले में छोड़कर अपना कर्तव्य पूरा समझ लेती है। फिर अनाज के खराब होने के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू होती है, और यह जांच तब तक चलती रहती है जब तक वह सेवामुक्त होकर अपने घर नहीं पहुंच जाता है। जबकि संयुक्त राष्ट्र की भूख संबंधी सालाना रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में सबसे ज्यादा भुखमरी के शिकार भारतीय है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एएफओ) ने अपनी रपट ‘द स्टेट ऑफ फूड इनसिक्युरिटी इन द वर्ल्ड 2015’ में यह बात कही है। यह विचारणीय और चिंतनीय है, कि खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होकर भी हमारे देश में भूख से जूझ रहे है, लोगों की संख्या चीन से भी ज्यादा है। इसकी एक बड़ी वजह हर स्तर पर होने वाली अन्न की बर्बादी है, क्योंकि हमारे यहां हर साल करोड़ों टन अनाज बर्बाद होता है। कहीं सरकार के द्वारा अनाज के रखरखाव की सही व्यवस्था की जाए तो हजारों गरीबों के जीने का सहारा और मुंह का निवाला बन सकता है, यह अनाज जहां खुले में रखे हुए PCS केंद्रों पर कर्मचारियों के द्वारा खरीद तो की जाती है, लेकिन रखरखाव और पहुंचाने की व्यवस्था नहीं की जाती है, जिससे हजारों कुंटल अनाज बर्बाद हो जाता है, खुले में रखे आनाज को कही बचाया जाए तो यह कई गरीबों के पेट का निवाला बन सकता है।

बाइट – सहकारी संघ केन्द्र प्रभारी……आनन्द

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