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गोवर्धन लीला सुनने से मिलता हे अक्षय पुण्यफल- देवी चित्रलेखा

रसमयी कथा सुनकर झूमे महिलाएं, पुरूष

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कटेरा (झाँसी)  कथा व्यास देवी चित्रलेखा ने कहा कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। कहा कि जब-जब अहंकार के वशीभूत होकर नर, राक्षस और देवताओं ने प्रजा पर अत्याचार किया तब-तब नारायण ने धरती पर अवतार लेकर अहंकारियों के अभिमान को चकनाचूर कर पीड़ितों की रक्षा की। कहा कि गोवर्धन पर्वत की गोप-गोपिकाओं से अर्चना कराने पर इंद्र ने घनघोर वर्षा कराई तो भगवान कृष्ण ने एक उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की। कहा कि गोवर्धन लीला सुनने से अक्षय पुण्य फल मिलता है।


कथा व्यास देवी चित्रलेखा ने झलकारी बाई स्टेडियम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में गिरिराज गोवर्धन लीला का विस्तार से वर्णन कर भक्तों को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की गोप-ग्वालों से पूजा कराई इससे इंद्र देवता नाराज हो गए। तब इंद्र ने प्रलय करने वाले मेघों सांवर्तक नामक गण को नंद के ब्रज पर प्रलय करने की आज्ञा दी। एक सप्ताह घनघोर वर्षा से पशु-पक्षी,गोप ग्वाले सभी ठंड से कांपने लगे तक भगवान श्रीकृष्ण ने खेल-खेल में एक उंगली से गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सात दिनों तक उठाए रहे। उसी के नीचे ग्वाल-बाल, गोपिकाएं, ब्रज के सभी पशु पक्षी गिरिराज की शरण में रहे। भगवान की लीला देख तुम्बरू आदि गंधर्वराज भगवान श्रीकृष्ण की मधुर लीला का गान करने लगे। कथा व्यास ने कहा कि गोवर्धन लीला सुनने व कहने का अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है।
कथा के दौरान भजन गायक राजेन्द्र रिजर, तबला पर गोविन्द भारद्वाज, ढोलक पर मनोज भारद्वाज, कीबोर्ड, कालिदास ऑक्टा पेड पर असीम मुखर्जी संगीतकारों ने भजन बुलालो वृन्दावन गिरधारी, मेरी मटकी दई गिराय, ओ कन्हैया की माई व अखियां हरि दर्शन की प्यासी भजन सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

रिपोर्ट- कपिल गुप्ता