मोंठ/झाँसी – हर बर्ष बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति के लिए स्कूल चलो अभियान चलाया जाता है। और जगह-जगह रैलिया निकाली जाती है, बच्चों को घर से विद्यालय लाया जाता है ,और तमाम कबायदें की जाती हैं। ताकि शत् प्रतिशत बच्चे साक्षर हो सके। लेकिन यहाँ समस्या दूसरी है। बच्चे तो स्कूल पहुंच जाते हैं, लेकिन शिक्षक स्कूल से नदारद नजर आते हैं। यहां बच्चों के लिए नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए स्कूल आने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। यहां अध्यापकों को समय से विद्यालय पहुंचने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। यह कहानी है, झाँसी जनपद के मोंठ ब्लाॅक के ग्राम धींगपुरा के सरकारी स्कूलों की जहां बच्चे तो पहुंच जाते हैं, लेकिन अध्यापक नहीं पहुंचते। ऐसा सिर्फ एक यहीं स्कूल नहीं, बल्कि अधिकतर स्कूलों में देखने को मिलता है। यहां शासन द्वारा प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय बनवाए गए हैं। ताकि बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के लिए गांव से दूर न जाना पड़े। इन विद्यालयों में काफी बच्चों का एडमिशन भी है। अध्यापकों की कमी के चलते और समय पर न आने के कारण अक्सर बच्चे यहां स्कूल प्रांगण में गिल्ली डंडा खेलते हुए देखे जाते हैं। दरअसल यहां स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में चार अध्यापक (प्रधानाचार्य श्यामबिहारी सहायक अध्यापक मिंटू झां, सहायक अध्यापिका किरण भारती ,सहायक अध्यापिका रंजना भारती) की तैनाती थी। जिनमें से विगत वर्ष प्रधानाध्यापक श्याम बिहारी रिटायर्ड हो चुके हैं, किरण भारती का तबादला हो चुका है। ऐसे में यहां केवल दो अध्यापक ही तैनात हैं। इसमें से भी रंजना भारती को प्राथमिक विद्यालय में अटैच कर दिया गया, सहायक अध्यापक मिंटू को प्रभारी प्रधानाध्यापक बना दिया गया। ऐसे में पूर्व माध्यमिक विद्यालय केवल एक अध्यापक के भरोसे चल रहा है। इतना नही प्रार्थमिक विद्यालय केे प्रभारी प्रधानाध्यापक मिंटू झा 9:45 बजे तक भी विद्यालय नहीं पहुंचे थे। बच्चे यहां खेल रहे थे। जबकि कुछ बच्चे क्लास में बैठे अध्यापक का इंतजार कर रहे थे। कुछ ऐसा ही हाल यहां के प्राथमिक विद्यालयों का है। यहां पूर्व माध्यमिक विद्यालय से अटैच सहायक अध्यापिका रंजना भारती के अलावा केवल एक शिक्षामित्र के भरोसे यहां की 5 कक्षाएं संचालित हो रही हैं । ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां की शिक्षा व्यवस्था कैसी होगी? मोठ विकासखंड का धींगपुरा के यह सरकारी स्कूल झांसी के सरकारी स्कूलों की एक बानगी है । जबकि अधिकतर स्कूलों में कुछ ऐसा ही हाल है। उच्चाधिकारी जहां अध्यापकों की कमी का रोना रोते दिखाई देते हैं। वही अध्यापक भी अकेले होने की बात कहकर मैनेजमेंट का प्रभाव भी उनके ऊपर होने की बात कहकर पल्ला झाड़ देते हैं। जब इस सम्बन्ध में खंड शिक्षा अधिकारी जमील अहमद से बात की तो वह भी हर सवाल का जबाब गुलमुल तरीके से देेेते रहे और कहने लगे कि शिक्षकों के समायोजन का मामला नयायालय में विचाराधीन है। जिसके कारण अध्यापकों की कमी सामने आ रही है। जल्द ही इस समस्या का निराकरण हो जाएगा । अध्यापक के देर से आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में संबंधित अध्यापक से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।