जब मार्शल अर्जन सिंह बोले, ‘एक घंटे में हमारे विमान पाकिस्तान के अंदर होंगे’
के सबसे जांबाज सिपाहियों में शुमार मार्शल अर्जन सिंह का सोमवार सुबह पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ. उनका शनिवार को निधन हुआ था, उन्होंने दिल्ली के आर एंड आर अस्पताल में आखिरी सांस ली. भले ही मार्शल अर्जन सिंह अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी बहादुरी के बेमिसाल किस्से हमेशा देश और भारतीय वायुसेना की शान बढ़ाते रहेंगे.
अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को पंजाब के लयालपुर (जो कि अब फैसलाबाद, पाकिस्तान है) में हुआ. महज 19 साल की उम्र में वो एम्पायर पायलेट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चुने गए. यहां से उन्हें उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत में वायुसेना के नंबर वन स्क्वाड्रन दस्ते के साथ भेजा गया. बस यहीं से उनके परिपक्व वायु सैनिक बनने का सफर शुरू हुआ.
15 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक दिन उन्हें लाल किले के ऊपर से सौ से ज्यादा फाइटर विमानों को उड़ाने का नेतृत्व करने का गौरव हासिल हुआ था. अर्जन सिंह के शौर्य का सबसे सफल उदाहरण 1965 में पाकिस्तान से हुई जंग के दौरान दिखा. पाकिस्तान ने 1965 में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया जिसमें उसने कश्मीर के अखनूर शहर को निशाना बनाया. उस वक्त एयर ऑफ एयर स्टाफ (CAS) पद पर काबिज सिंह ने साहस, प्रतिबद्धता और पेशेवर दक्षता के साथ भारतीय वायु सेना का नेतृत्व किया.
इस जंग का एक वाक्या उनके बेमिसाल कौशल और आत्मविश्वास का सबसे बड़ा प्रतीक है. अखनूर शहर में पाक द्वारा हमला बोले जाने के बाद सिंह को रक्षा मंत्रालय ने तलब किया. उनसे पूछा गया कि कितनी देर में भारतीय वायु सेना हमले के लिए तैयार होगी. अगले ही पल अर्जन सिंह बोल पड़े ‘एक घंटे में’! उनके इस वाक्य के ठीक एक घंटे बाद भारतीय लड़ाकू विमान पाकिस्तान के कैंपों को ध्वस्त करने पहुंच चुके थे.
1965 में अपने बेजोड़ नेतृत्व के लिए अर्जन सिंह को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया. इसके साथ ही उसी साल वो वायु सेना में एयर चीफ मार्शल बने. अर्जन सिंह ये पद हासिल करने वाले देश के पहले सिपाही थे. सन 1969 में 50 वर्ष की उम्र में उन्होंने रिटारमेंट ले लिया.
वायु सेना के अपने पूरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने लड़ाकू विमान उड़ाना कभी नहीं छोड़ा. दिसंबर 1989 से 1990 तक वो दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर भी रहे. इसके बाद सन 2002 में उन्हें वायु सेना का मार्शल नियुक्त किया गया. अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना में पांच सितारा रैंक हासिल करने वाले इकलौते अफसर थे.