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निजता के अधिकार पर अतिक्रमण करने से मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने रोका:खोज खबर उमाशंकर पत्रकार

निजता के अधिकार पर अतिक्रमण करने से मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने रोका:खोज खबर उमाशंकर पत्रकार

आम जनता को अपनी निजी गोपनीयता का भी अधिकार है ।

झांसी । हर आम आदमी की पर्सनल यानी निजी जिंदगी मंे केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार अपने अधिकारों को दुरूपयोग करके आम जनता के निजता के अधिकार पर अतिक्रमण करती जा रही थी जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के खिलाफ फैसला दे दिया है ।
निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार से अलग करने की चल रही कोशिश को सर्वाेच्च न्यायालय ने फैसला देते हुए निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार में माना है । आम आदमी की निजी जिंदगी में जानकारियों पर जिस तरह केंद्र और राज्य सरकार अधिकार जमाकर आम आदमी के मौलिक अधिकारों का हनन करती जा रही थी । इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला देते हुए निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार से अलग करने की कोशिश को नाकाम कर दिया है । इससे झांसी झांसी जिले में गैर भाजपाईयों में खुशी की लहर दौड पडी है । इस फैसले से हर आम आदमी में खुशी देखी जा रही है ।
भारतीय संविधान ने भारत के हर व्यक्ति को निजता का अधिकार दिया है। जिसमें उसको अपनी व्यक्तिगत जानकारी अपने पास रखने का अधिकार है । इस अधिकार पर वर्तमान भाजपा सरकार आम जनता के अधिकारों पर अतिक्रमण करके उसकी अति गोपनीय बातों को सार्वजानिक होने के कदम पर पहंुचा रही है जिससे आम आदमी की निजी जिंदगी में उसको इसकी बडी क्षति झेलनी पडती है l

दाहरण के तौर पर – अगर एक गरीब व्यक्ति जिसके बैंक खातें में पचास हजार रूपया हो और वह अपनी लडकी की शादी करने के लिए लडका पक्ष से एक लाख रूपया तक की शादी करने की बात पक्की कर चुका हो लेकिन उसका बैंक से आधार कार्ड लिंक होने के कारण उसका एकाउंट नम्बर से उसके लडकी के ससुराल वाले गोपनीय जानकारी ले ले तो आगे चलकर उसकी लडकी की शादी टूटने तक की नौबत आ जाती हैऐसे में सरकार द्वारा निजता के मौलिक अधिकार को ध्यान में न रखकर किए जा रहे कार्य से सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय पारित कर दिया है ।
उक्त केस की याचिका सांसद राजीव चंद्रशेखर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जिसमें उन्होंने निजता के अधिकार को हनने करने की बात कोर्ट के समक्ष रखी थी । बायोमेट्रिक आधार कार्ड पर कोई खामी नहीं बल्कि खामियां तो वहां है कि सरकार उसका किस तरह से इस्तेमाल कर रही है । इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया जिस पर खासतौर से आम जनता में खुशी की लहर दौड पडी है । आम जनता केंद्र और राज्य सरकारों के आदेश, निर्देश चाहे वे सही हो या गलत वश सहन करती आ रही है । इस सरकार में बैठे नेता भी जनता की खामोशी को अच्छा समझ कर और आगे ऐसे आदेश, निर्देश जारी जारी करते जा रहे है जिससे हर आम आदमी परेशानी में और भुखमरी का शिकार होता जा रहा है। मध्यम वर्ग को इज्जत से दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल हो रही है । बेरोजगारों को रोजगार देने केे बजाए उन्हें और बेरोजगार किया जा रहा है । उसके एकाउंट की हर,योजना की जानकारी,फोन पर होने वाली बातों की जानकारी निजता के अधिकार में आती लेकिन कानून का सहारा लेकर सरकार मूल अधिकार पर अतिक्रमण करने का प्रयास कर रही है ।

neeraj sahu

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