अवश्य पढ़े ! बच्चों की जिद और माँ-बाप की शान,ले रही है बेगुनाहों की जान
झाँसी | जब विकास की राह मे केंद्र बनी सड़कें, खून से लथपथ होने लगे तब सवालों के साथ चिताएं भी वाजिब होने लगती हैं और इसके कारण और निवारण भी जानना जरुरी है | भारत में होने वाले सड़क हादसों में सबसे अधिक युवा और किशोर काल के गाल में समां रहे हैं | देश में सड़क हादसे रोकने के लिए सरकारें लम्बे समय से प्रयास कर रही हैं लेकिन आधुनिक और भागदौड़ भरी जिंदगी के आगे यातयात नियमों की अनदेखी और गंतव्य स्थल तक पहुंचने की जल्दबाजी कभी – कभी जिंदगी छीन लेती है |
इस आधुनिक जीवन में जहाँ अक्सर बच्चे गाड़ी के लिए माँ – बाप से जिद करते हैं तो यहाँ माँ – बाप मजबूर होकर उनकी जिद के आगे घुटने टेक देते है l वहीं कई अभिवावक पैसे की खोखली शान दिखाने के लिए मासूमों के हाथ में गाड़ी थमा देते हैं ये मासूम यातायात नियमों को ताक पर रखकर फ़िल्मी स्टाइल में गाड़ी चलाने का प्रयास करते हैं और सड़क पर अपने साथ – साथ दूसरों की भी जान जोखिम में डाल देते हैं | वहीं युवा वर्ग के लोग यातयात नियमों को तोड़ने में अपनी शान समझते हैं | दोपहिया वाहन चालक हेलमेट और चौपहिया वाहनों में सवार लोग शीट बेल्ट लगाना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं | तेज रफ़्तार भी सड़क दुर्घटनाओं के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है | आमतौर पर देश में अट्ठारह साल की आयु के बाद लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस दिए जाते हैं या ( 16 साल बिना गियर ) लेकिन गाड़ी अट्ठारह साल के पहले ही थमा दी जाती है | आजकल इस बात की तो जांच ही नहीं हो पाती है कि लाइसेंस धारक प्रशिक्षित भी है या नहीं क्योंकि आरटीओ कार्यालय में जमे दलालों द्वारा धारक का प्रशिक्षण लिए बिना ही मोटी रकम लेकर धारक को ड्राइविंग लाइसेंस थमा दिया जाता है |
जब तक नागरिक जागरूक होंगे तब तक सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती | और अक्सर देखा जाता है की इन युवाओ के चक्कर मे अक्सर वह लोग घायल या मौत के आगोश में समा जाते है जिनके ऊपर अपने परिवार के दायित्य का बोझ रहता है और इस कारण से उन परिवार के परिजनों के सामने कई तरह की गंभीर समस्याएं आ जाती हैं जो विभिन्न रूपों में आने वाले समय में उन्हें प्रभावित करती हैं और ऐसे उदाहरण अक्सर समाज में देखने को मिलते हैं l कभी कभी तो इन दुर्घटनाओं के चलते परिवार के परिवार बड़े आसानी से शिकार बन जाते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए और इसके लिए कड़े कदम सरकार को उठाने चाहिए लेकिन सारी जिम्मेदारी हम अक्सर पुलिस के ऊपर पर डाल देते हैं और अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ लेते हैं लेकिन यह जिम्मेदारी हमें अपने घर से ही उठानी चाहिए हमें हर पल अपने बच्चों को यह बात समझानी चाहिए यदि सड़क पर चलने वाले लोग यातयात नियमों का पालन ईमानदारी से करें तो सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी आएगी |
:रि.-उदय नारायण कुशवाहा