राष्ट्रीय पुस्तक मेला में बुंदेलखंड विषय पर हुई चर्चा
राष्ट्रीय पुस्तक मेला के छठवें दिन साहित्यकार सियारामशरण गुप्त की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित बुंदेलखंड: एक विमर्श संगोष्ठी में साहित्यकारों और कवियों ने बुंदेलखंड की समृद्ध लोक कला संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के बारे में विस्तार से बताया। प्रसिद्ध साहित्यकार रामशंकर भारती ने कहा कि बुंदेलखंड हर युग में प्रासंगिक रहा है। यह इतनी पुण्य भूमि है कि भगवान श्रीराम ने वनवास काटने के लिए बुंदेलखंड को चुना था। यहां के हर गांव में साहित्य और साहित्य से जुड़े लोग मिलते हैं। बुंदेलखंड को कलम कला और कृपाण की धरती कहा जाता है। पन्नालाल असर ने कहा की बुंदेलखंड अपने गौरवशाली इतिहास के साथ आगे बढ़ रहा है। इस क्षेत्र को लंबे समय से नकार दिया गया था। लेकिन, अब बुंदेलखंड एक बार फिर चर्चा का विषय है। दुनिया इसके बारे में जानना चाहती है। बुंदेलखंड के प्रचार में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय और हिंदी विभाग की अहम भूमिका रही है। पुस्तक मेला और अन्य आयोजनों के माध्यम से देश और दुनिया के बड़े नाम यहां आते हैं और बुंदेलखंड के बारे में जानते हैं।
प्रसिद्ध कवियत्री ब्रजलता मिश्रा ने अपनी बुंदेली कविता के माध्यम से बुंदेलखंड की परंपरा को लोगों के बीच रखा। प्रसिद्ध बुंदेली साहित्यकार रतिभानु तिवारी “कंज” ने बुंदेली की साख को लौटाने के लिए युवाओं से आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आप रील के जमाने में भी बुंदेली का प्रचार प्रसार कर सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. पुनीत बिसारिया ने कहा कि बुंदेलखंड एक सिद्ध भूमि है। यहां के कण कण में साहित्य है। सभी को बुंदेलखंड को पढ़ना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन सुनीता वर्मा द्वारा किया गया।
लेखक से मिलिए सत्र में झांसी रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य अधिकारी ने अपनी साहित्य यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि अगर कुछ करने की चाह हो तो नौकरी बाधा नहीं बन सकती। मैंने नौकरी में रहते हुए भी 5 से अधिक पुस्तकें लिखी। उन्होंने युवाओं से कहा कि एक किताब लिखने के लिए 100 किताबें पढ़नी होंगी। साहित्यकार डॉ. निधि अग्रवाल ने कहा कि रचनात्मक आत्मा से होती है। एक लेखक को समझ में होने वाली हर घटना पर पैनी नजर रखनी चाहिए। दिल्ली से आई डॉ. रश्मि कौशल ने कहा कि हिंदी ने उन्हें जड़ों से जोड़े रखने का काम किया है। उन्होंने अपने आध्यात्मिक में भगवान श्रीकृष्ण और राधा को एक नए रूप में दुनिया के सामने पेश करने का प्रयास किया है।
कार्यक्रम के दौरान शोधार्थियों द्वारा सात दिवसीय पुस्तक मेला और बुंदेलखंड विषय पर विभिन्न शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए। सांस्कृतिक संध्या में विद्यार्थियों द्वारा “अंधेर नगरी” नाटक, कजरी नृत्य, दुर्गा स्तुति आदि प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम प्रस्तुत करने वालों में मंजरी, अनुराग, गजेंद्र, संजना, खुशी, नीलम, रिचा, प्रदीप, प्रियांशु, पुष्पेंद्र इत्यादि शामिल रहे। इस अवसर पर डॉ. अचला पांडेय, डॉ. श्रीहरि त्रिपाठी, नवीनचंद्र पटेल, डॉ. बिपिन प्रसाद डॉ. प्रेमलता श्रीवास्तव, डॉ. द्यूती मालिनी, डॉ. आशीष दीक्षित, डॉ. सुधा दीक्षित, डॉ. आशुतोष शर्मा, डॉ. राघवेंद्र, कपिल शर्मा, डॉ. रामनरेश, डॉ. जोगेंद्र, गरिमा, आकांक्षा सिंह, मनीष मंडल, विशाल, अजय तिवारी समेत कई अन्य शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी आदि मौजूद रहे।