** सरकारी चिकित्सीय व्यवस्था में मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज के लिए मजबूर करने वाले चिकित्सकों पर जिलाधिकारी की नजर
** प्रदेश में सरकारी डाक्टर और चिकित्सा शिक्षक अब प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे, ट्रेस होने पर अस्पताल एवं चिकित्सक का लाइसेंस होगा निरस्त
** निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डाक्टरों पर एक्शन की तैयारी, शासन ने दिए जिलाधिकारी को निर्देश
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** जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक
जिलाधिकारी अविनाश कुमार की अध्यक्षता में गुरूवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के चिकित्सा शिक्षकों एवं चिकित्सा विभाग के राजकीय चिकित्सकों की निजी प्रेक्टिस पर प्रतिबन्ध के सम्बन्ध में कलक्ट्रेट स्थित चैम्बर में बैठक आयोजित की गयी।
बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रशासन अरुण कुमार सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 सुधाकर पांडेय, महिला विभाग अधीक्षक डॉ0 राज नारायण, पुरुष विभाग के अधीक्षक डॉ0 पी के कटियार, प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ0 मयंक सिंह, क्षेत्राधिकारी पुलिस रामवीर सिंह सहित निरीक्षक एल0आई0यू0 उपस्थित रहे।
बैठक में प्राइवेट प्रेक्टिस की शिकायतों की जॉच हेतु गठित सर्तकता समिति के पुर्नस्थापन के विषय में विस्तृत चर्चा की गई। सर्तकता समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अधीक्षक, सदस्य, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, पुरुष / महिला, जिलाधिकारी द्वारा नामित अभिसूचना इकाई का सदस्य तथा मुख्य चिकित्साधिकारी सदस्य सचिव होंगे।
आयोजित बैठक में जिलाधिकारी अविनाश कुमार द्वारा जनपद के समस्त चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केन्द्रो में कार्यरत समस्त राजकीय चिकित्सकों को निर्देशित किया गया कि “उत्तर प्रदेश सरकारी डाक्टर (एलोपैथिक) प्राइवेट प्रैक्टिस पर निर्बन्धन नियमावली, 1983 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाये। जिलाधिकारी द्वारा जनपद स्तर पर गठित सर्तकता समिति की बैठक में चिकित्सको के प्राइवेट प्रैक्टिस से सम्बन्धित प्राप्त शिकायतो का नियमित अनुश्रवण किये जाने सहित अन्य दण्डात्मक कार्यवाही के बारे में अवगत कराया गया।
निगरानी समिति की बैठक में अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी। अविनाश कुमार ने बताया कि जनपद में कुल 177 राजकीय चिकित्सा शिक्षक/चिकित्सक कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि उक्त सूची एल0आई0यू0 को उक्त आदेश के साथ उपलब्ध कराई गई है कि नियमित इन सभी की गोपनीय जाँच किया जाना सुनिश्चित किया जाए।
बैठक में बताया गया कि समस्त राजकीय चिकित्सा शिक्षकों / राजकीय चिकित्सकों से निजी प्रैक्टिस न करने का लिखित शपथ-पत्र पूर्व में ही प्राप्त किया जा चुका है। यदि कोई राजकीय चिकित्सा शिक्षक एवं चिकित्सा विभाग के राजकीय चिकित्सक द्वारा “उत्तर प्रदेश सरकारी डाक्टर (एलोपैथिक) प्राइवेट प्रैक्टिस पर निर्बन्धन नियमावली, 1983 का उल्लघंन की पुष्टि होने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए अस्पताल और चिकित्सक का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। इसके साथ ही पूर्व में लिए गए प्रैक्टिस बंदी भत्ता भी उससे वसूला जाएगा।
इस मौके पर डॉक्टर उत्सव राज पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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