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सैंकड़ों जरूरतमंदों को प्रतिदिन सुबह एवं शाम को भोजन करा रही है अपनी रसोई : अनुरागी

ByNeeraj sahu

Mar 16, 2025

सैंकड़ों जरूरतमंदों को प्रतिदिन सुबह एवं शाम को भोजन करा रही है अपनी रसोई : अनुरागी

जालौन जिले के उरई में स्थित ‘अपनी रसोई’ एक ऐसी अनूठी पहल है जो प्रतिदिन सैकड़ों जरूरतमंदों सुबह एवं शाम को मुफ्त भोजन उपलब्ध करा रही है। यह कार्य न केवल जिले में बल्कि समूचे प्रदेश में एक उदाहरण बन चुका है। इस पुण्य कार्य के पीछे मुख्य योगदान है पूर्व सांसद और वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. घनश्याम अनुरागी का जिन्होंने अपनी मेहनत समर्पण और मानवता की भावना से इस अनूठी रसोई का संचालन शुरू किया। पिछले ढाई वर्षों से भी अधिक समय से ‘अपनी रसोई’ के जरिए अनगिनत गरीब और असहाय लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण पहल के बारे में विस्तार से जानेंगे जिसमें डॉ. घनश्याम अनुरागी की इस रसोई के संचालन के पीछे छिपी कहानी को जानेंगे। डॉ. घनश्याम अनुरागी सदैव समाज सेवा और मानवता की भावना से प्रेरित रहा है। जिन्होंने अपने जीवन को समाज के सेवा में समर्पित किया है। उनकी सबसे बड़ी पहचान उनके समाजिक कार्यों के लिए है। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी महसूस किया कि समाज के कमजोर वर्ग के लिए प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था करना भी बेहद जरूरी है। उन्होंने देखा कि बहुत सारे लोग जो अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ थे भोजन के लिए दर-दर भटकते थे। इसके बाद डॉ. अनुरागी ने ठान लिया कि वह इस समस्या का हल निकालेंगे। इसी सोच के साथ उन्होंने ‘अपनी रसोई’ की शुरुआत की जिसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग के जरूरतमंदों को बगैर किसी भेदभाव के भोजन उपलब्ध कराना था। डॉ. घनश्याम अनुरागी ने अपनी रसोई की शुरुआत 2.5 साल पहले उरई स्थित अपने आवास से की थी। इसका उद्देश्य था कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी जाति धर्म या समुदाय से हो बिना किसी भेदभाव के भरपेट भोजन प्राप्त कर सके। ‘अपनी रसोई’ की विशेषता यह है कि यहां किसी प्रकार की कोई शुल्क नहीं लिया जाता और यह पूरी तरह से दान के रूप में चल रही है। रसोई में तैयार भोजन पूरी तरह से ताजा स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है जो लोगों की सेहत का भी ध्यान रखता है। डॉ. अनुरागी ने यह सुनिश्चित किया कि इस रसोई में हर दिन सैकड़ों जरूरतमंदों को भोजन मिल सके। इसके लिए उन्होंने एक मजबूत और व्यवस्थित सिस्टम तैयार किया। इस रसोई का संचालन वे स्वयं करते हैं और उनके साथ एक टीम भी है जो भोजन की तैयारी और वितरण के कार्य में मदद करती है। ‘अपनी रसोई’ में प्रतिदिन ताजा और पोषक भोजन तैयार किया जाता है। यहां दाल, चावल, सब्जी, रोटी और कभी-कभी अन्य व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों का चयन इस प्रकार से किया जाता है कि यह न केवल स्वादिष्ट हों बल्कि पौष्टिक भी हों। यह भोजन उन सैकड़ों जरूरतमंदों को प्रदान किया जाता है जो किसी कारणवश भोजन की कमी से जूझ रहे होते हैं। डॉ. अनुरागी ने यह भी सुनिश्चित किया कि भोजन की गुणवत्ता पर कोई समझौता न हो। यही कारण है कि इस रसोई में काम करने वाले सभी लोग अपने कार्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध और समर्पित रहते हैं। भोजन तैयार करने की प्रक्रिया में साफ-सफाई और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

 

ऑटोमैटिक मशीनों का होता है उपयोग

‘अपनी रसोई’ में भोजन तैयार करने के काम को और भी सुगम बनाने के लिए डॉ. घनश्याम अनुरागी ने अत्याधुनिक ऑटोमैटिक मशीनों का इस्तेमाल किया है। इन मशीनों के माध्यम से आटा गूंधने, बेलने और सेंकने के काम को स्वचालित तरीके से किया जाता है जिससे समय की बचत होती है और सैकड़ों लोगों को भोजन तैयार करना संभव हो पाता है। यह तकनीकी प्रगति रसोई के संचालन को और भी अधिक प्रभावी और कुशल बनाती है। मशीनों की मदद से रसोई में बड़े पैमाने पर भोजन तैयार करना अब और भी आसान हो गया है जिससे भोजन की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता है और कार्य जल्दी पूरा हो जाता है। ‘अपनी रसोई’ का मुख्य उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति भोजन की कमी से परेशान न हो। डॉ. घनश्याम अनुरागी का मानना है कि कोई भी गरीब भूखा न सोए यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। इसके लिए उन्होंने न केवल भोजन की व्यवस्था की बल्कि जरूरतमंदों को मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी प्रदान किया है। रसोई का संचालन उन्होंने पूरी तरह से बगैर जात-पात धर्म या किसी अन्य भेदभाव के किया है। हर व्यक्ति को समान सम्मान और भोजन मिलता है यह इस रसोई का प्रमुख सिद्धांत है। रसोई में भोजन वितरण का तरीका भी बहुत व्यवस्थित है। सुबह और शाम इन दोनों समयों में रसोई का कार्य पूरी तरह से व्यवस्थित रूप से किया जाता है। लोग अपनी बारी में भोजन प्राप्त करते हैं और यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी को भी बिना भोजन के न लौटना पड़े। इसके अलावा इस रसोई के जरिए डॉ. घनश्याम अनुरागी ने लोगों में समाज सेवा की भावना भी जागृत की है। अब कई अन्य लोग भी अपनी रचनात्मकता और सेवाभाव से इस पहल में योगदान दे रहे हैं। यह समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है और समाज को एकजुट करने का कार्य कर रहा है। डॉ. घनश्याम अनुरागी का दृढ़ संकल्प है कि जब तक वह जीवित रहेंगे तब तक ‘अपनी रसोई’ का संचालन अनवरत रूप से चलता रहेगा। वह चाहते हैं कि यह पहल पूरे प्रदेश में फैलें और हर जिले में ऐसी रसोई का संचालन हो जिससे कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए। भविष्य में ‘अपनी रसोई’ को और भी प्रभावशाली बनाने के लिए डॉ. अनुरागी इसके विस्तार की योजना बना रहे हैं ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंदों को मदद मिल सके।

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