राठ/हमीरपुर – कोतवाली क्षेत्र के औंता गांव में कर्जे से परेशान चल रहे एक किसान ने खेत में लगे पेड़ से फांसी लगा ली। जब तक परिजनों को जानकारी हुई उसकी मोत हो चुकी थी। सूचना पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने शव का पोष्टमार्टम कराया। प्रदेस में रामराज्य का दावा करने वाली मोदी सरकार में भी किसानों की आत्म हत्या पर विराम नहीं लग पा रहा । एक सप्ताह में कर्ज के मर्ज से परेसान दो किसानों ने फांसी लगा कर अपनी जान दे दी । राठ क्षेत्र के औंता गांव निवासी शंकरलाल पुत्र स्व. रामचरन ने बताया कि उसके छोटे भाई भीखम सिंह के पास ढाई बीघा जमीन थी जिस पर खेती कर वह अपना परिवार पालता था। उसने खेती के लिये इलाहाबा यूपी ग्रामीण बैंक धनौरी से किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 90 हजार रूपये का कर्ज लिया था। वहीं अपनी तीन पुत्रियों सुमन, पुलिया व मन्नू तथा एक पुत्र नितिन का विवाह किया जिसमें उसके सिर पर पांच लाख रूपये का कर्ज लद गया। मौसम की मार से कई वर्षों से फसल भी नहीं बन रही थी जबकि साहूकारों का कर्जा बढ़ता ही जा रहा था। कर्जे की चिंता से वह दिन रात घुटता था। बताया कि बुधवार को वह रात में खेत की कटाई करता रहा। गुरूवार सुबह लगभग पांच बजे वह अपने घर पहुंचा जहां पर कुछ देर रहने के बाद वह वापस कटाई की कह कर खेतों की ओर निकल गया। जहां पर उसने खेत में लगे बबूल के पेड़ पर रस्सी का फंदा बनाया तथा फांसी पर झूल गया। सुबह करीब 10 बजे जब उसकी पत्नी रानी खाना देने पहुंची तो फांसी पर झूलते पति को देख चीख पुकार मचाई। शोर सुनकर जब तक आसपास के लोग मौके पर पहुंचे उसकी मौत हो चुकी थी। मृतका का बड़ा पुत्र नितिन दिल्ली में रह कर मेहनत मजदूरी करता है। शंकरलाल ने बताया कि भीखम सिंह ने बैंक से नब्बे हजार रूपये का ऋण लिया था। किन्तु उसे मात्र तीन सौ इक्यावन रूपये माफी का प्रमाणपत्र दिया गया था। बताया कि कर्जे की चिंता व फसल न बनने से उसने फांसी लगाकर आत्महत्या की। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोष्टमार्टम के लिये भेज दिया।