होलिका दहन के बाद शुक्रवार को कीचड़ की होली मनाई गई। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों ने एक दूसरे को कीचड़ से सराबोर कर जमकर हुल्लड़ मचाया। शनिवार को दूज पर्व पर रंग लोगों ने रंग गुलाल उड़ाते हुए जमकर होली का लुफ्त उठाया।
पूर्णिमा की रात होलिका दहन के पश्चात अगले दिन रंग गुलाल की होली खेली जाती है। इसके अगले दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाता है। किन्तु हमीरपुर जनपद के राठ क्षेत्र में अनोखी परम्परा शदियों से चली आ रही है। यहां पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के पश्चात तीसरे दिन अर्थात भाई दूज के दिन रंग भरी होली खेलने का प्रचलन है। इसी के तहत गुरूवार की रात होलिका दहन के पश्चात शनिवार को जमकर होली खेली गई। सुबह 10 बजे के बाद टोलियों में निकले युवाओं ने एक दूसरे को रंगों से सराबोर करते हुए जमकर हुड़दंग किया। विभिन्न प्रकार के रंगों और गुलाल से युवा इतने सराबोर थे कि एक दूसरे को ही नहीं पहचान पा रहे थे। होली का हुड़दंग सुबह 10 बजे शुरू होकर लगभग 3-4 बजे तक चलता रहा। इसके बाद लोग नहाधोकर अपने रिस्तेदारों, मित्रों एवं परिचितों के घर गये तथा अबीर गुलाल लगाकर होली की शुभकामनायें दीं।
शराब बंदी के बावजूद छलके जाम
कहने को तो होली पर शराब की बिक्री प्रतिबंधित रही। किन्तु फिर भी नगर सहित विभिन्न गांवों में लोग शराब के नशे में टुन्न नजर आये। होलिका दहन से लेकर भाई दूज तक जमकर जाम से जाम टकराये गये। त्योहार पर भले ही शासन ने शराब की बिक्री पर रोक लगा रखी हो किन्तु शराब के नशे में मदहोश झुमते लोग शराब बंदी की हवा निकालने में जुटे रहे। EDIT DHERENDRA RAIKWAR