शिक्षा से बनाकर दूरी मासूम कर रहे मजदूरी डी.एम.का आदेश ठेंगे पर

झाँसी | कुछ दिन पहले जिलाधिकारी ने आदेश दिया था कि बालकिशोर किसी भी तरह की बाल मजदूरी नहीं करेंगे लेकिन वर्षों से उपेक्षा का शिकार हुआ बुंदेलखंड विकास की दौड़ में पिछड़ गया है | सूखा ,बाढ़ ,गरीबी ,राजनीति और छुटभैयों के आतंक ने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि लोग दाने -दाने को मोहताज हो गए हैं | मासूम शिक्षा से मुंह मोड़कर पेट भरने के लिए बाल मजदूरी करने को मजबूर हो गए हैं | राज्य में बाल एवं मासूम जिनका समय खाने -पीने ,पढ़ने -लिखने का है वो बच्चे आजकल मजदूरी का कार्य कर रहे हैं | इस अवस्था में मासूम मां-बाप के प्यार की जगह मालिक की गलियां खा रहे हैं | बाल मजदूर कारखानों, दुकानों, होटलों एवं ढाबों पर अक्सर देखे जाते हैं | कारण यह है कि बाल मजदूर कम रेटों पर मिल जाते हैं | वहीं बालिग मजदूरों को महंगे रुपये देने पड़ते हैं | बाल मजदूरी रोकने के लिए बालश्रम विभाग बनाया गया है लेकिन बालश्रम विभाग बाल मजदूरी रोकने में बौना साबित हो रहा है | संविधान में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान होने के वाबजूद ये मासूम शिक्षा से वंचित हैं | बाल मजदूरी पर कठिन कार्यवाही का नियम होते हुए भी प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है | विभाग के अधिकारी खर्राटे मारकर सुख की गहरी नींद में सो रहे हैं | अब उम्मीद है कि जिलाधिकारी ने जो आदेश दिया था कि बालकिशोर किसी भी तरह की बाल मजदूरी नहीं करेंगे उस पर कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि बचपन मासूम होता है ओर इसे बचाए रखना हम सभी कि नैतिक जिम्मेदारी है |
रि.-=उदय नारायण कुशवाहा
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