बहेर वृक्ष के अंदर प्रकट पिण्डियों के रूप मे है माँ का स्वरुप
प्रदीप यादव / डा0 एन.के मौर्य
गोण्डा-किसी ने सच ही कहा है कि माँ आदि शक्ति का स्वरुप विभिन्न रुपों मे जर्रे जर्रे समाया हुआ है, जिसका जीत जागता प्रमाण जिले के वजीरगंज क्षेत्र के ग्राम सेहरिया स्थित मृगही सम्मय माँ का स्थान है, जो कि 7 पिण्डियों के रूप मे बहुत पुराने एक बहेर के पेड़ की जड़ मे विराजमान है। जहाँ सभी धर्मो के लोग श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना करके खतरनाक मिर्गी रोग से सदैव के लिए निजात पाते हैं।
मृगही सम्मय के सत्यपीठ को लेकर यहाँ के लोगों मे मान्यता है कि मिर्गी रोग से पीड़ित यहाँ जो भी प्राणी सच्चे मन से सप्ताह के मंगलवार व शनिवार श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना करके ठीक होने की कामना करता है,वह कुछ ही दिनों मे मिर्गी रोग से निजात पा जाता है। उक्त गांव के शारदा बख्श सिंह, स्वंतंत्र कुमार सोनू, समरबहादुर व अनिल सिंह आदि लोगों का कहना है कि माना जाता है कि लगभग 500 वर्ष पूर्व उक्त बहेर के पुराने पेड़ की जड़ मे खुद बखुद मंदिर का आकार बनकर 7 चमत्कारी पिंडिया प्रकट हुई थी, जिस पर समय के साथ साथ लोगों की आस्था बढ़ती गयी, परिणाम स्वरुप इन दिनों यहाँ भारत के कोने कोने से लोग आकर श्रद्धा पूर्वक सच्चे दिल से पूजा अर्चना करके अपनी मन्नतें पूरी करने लगे हैं।
* यहाँ मिर्गी के रोग से मिलता है निजात
चर्चा है कि कुछ दिनो तक लगातार दिन शोमवार व मंगलवार इस सिद्ध पीठ पर पूजा अर्चना कर धूप दीप जलाने से पुराना से पुराना मिर्गी का रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। जिसे लेकर यहाँ शोमवार व मंगलवार के दिन काफी दूर दराज से मिर्गी रोग के पीड़ित आकर भारी मात्रा मे पूजा अर्चना करते दिखाई देते हैं,अवगत हो कि पावन नवरात्रि के इन दिनों भक्तगण नवों दिन तक पूजा अर्चना करते हैं, जिनका कहना है कि माँ मिर्गी के बीमारी को ठीक करके पीड़ितों के झोली में खुशियों की वर्षा करती है, इसीलिए इस स्थान को मृगही सम्मय के नाम से जाना जाता है।
* बचपन के बीमारी से चंद दिनो मे निजात पा गया मुस्लिम युवक रामाया
मृगही सम्मय पर हर मंगलवार पूजा अर्चना कर दीप जलाने वाले मनकापुर क्षेत्र के दुबहा निवासी मुस्लिम वर्ग के युवक रामाया से जब हमारी बात हुई तो उसने बताया कि उसे बचपन से ही मिर्गी का दौरा आता था, जिसे लेकर वह पिछले 2 वर्षों से यहाँ पूजा अर्चना करता आ रहा है, रामाया का कहना है कि चंद दिनो में ही उसकी बीमारी पूर्ण रूप से ख़त्म हो गयी, और अब वह हंसी ख़ुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहा है।
* हुदहुद व तूफानों ने भी टेका यहाँ माथा
लगभग पांच सौ वर्ष पुराने बहेर के खोखले पेड़ को लेकर लोगों का कहना है कि प्रचंड हुदहुद व तूफानों मे जहाँ विकराल पेड़ जमीदोज हो गए वहीँ इस पेड़ की टहनी तक न टूटी, लोगों का यह भी कहना है कि इस पर किसी का वश नही है, इस पेड़ की रक्षा मृगही सम्मय माँ खुद करती है, उसके मर्जी से ही पेड़ की टहनियां गिरती है।