कहते हैं ना कि बेटियां अपने मां बाप की लाडली और दो कुलों को रोशन करने वाली दिव्य ज्योति होती है।
मां बाप के प्रति विना किसी स्वार्थ और मतभेद के सेवा करतीं हैं बेटियां।
आज़ झाँसी दर्शन टीम के कैमरे में एक ऐसी अद्भुत तस्वीर क़ैद हुई जो विना कुछ वोले सब-कुछ कह गई।
मासूम का नन्हें नन्हें नंगें पैर दिव्यांग पिता की ट्राईसाईकिल को धक्का देना और चेहरे पर मुस्कान थकान को कोसों दूर धकेल देना निश्चित तौर पर ह्रदय में ऐसी अद्भुत ऊर्जा का संचार करती है कि इसके आगे सब-कुछ बौना साबित हो गया।
हमने जब मासूम से बात की तो उसने कहा कुछ नहीं लेकिन उसकी एक मुस्कुराहट ने सारे सवालों के जवाब दे दिए और हमें निरुत्तर कर दिया।
झाँसी दर्शन ऐसी अद्भुत मुस्कान को हर बार और बार- बार लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करता रहेगा।