बुंदेलखंडी गीत बुंदेली जन के विचारों का परिचय तो देते ही हैं साथ ही इन के माध्यम से सामाजिक जीवन की विविधता का साक्षात्कार भी होता है लोकगीत जनजीवन में इतने गहरे पैठी हुए हैं यह जन जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं समाज लोकगीतों के दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखता आया है लोकगीतों की यह परंपरा आज भी चली आ रही है जिससे लोक संस्कृति अपने मूल रूप में झंकृत होती है इसका उद्देश्य ग्रामीण एवं क्षेत्र के लोक संगीत का विस्तार कर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर उनका विकास करना है लोकगीतों का प्रशिक्षण श्रीमती कृष्णा कौशिक व श्रीमती राजकुमारी द्विवेदी ने दिया इसमें भाग लेने वाले कलाकारों में सौरभ आजाद, कुमारी निकिता विश्वकर्मा ,कुमारी शिवानी विश्वकर्मा , नवल किशोर यादव राघवेंद्र सिंह ,आदित्य श्रीवास्तव कुशल नरेंद्र सिंह राजपूत, शिखा सिंह,महेंद्र वर्मा आदि ने भाग लिया कार्यक्रम में हरेन्द्र कुमार द्विवेदी, उपस्थित रहे लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन प्रसारण किया गया मार्गदर्शन डॉ हिमांशु द्विवेदी का रहा!