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बिहु नृत्य खुशी व दुख का नृत्य है : संगीता वर्मन

बिहु नृत्य खुशी व दुख का नृत्य है : संगीता वर्मन
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झांसी : असम की कु. संगीता वर्मन ने बुन्देलखण्ड नाटय कला केन्द्र व मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्याशाला में छात्रा-छात्राओं के साथ बिहू की बारीकियां साक्षा की। संगीता वर्मन का जन्म नलवाडी असम में हुआ है । विगत 15 वर्षो से बिहु का प्रदर्शन राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कर चुकी है। साथ ही वर्ष 2015-16 मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय से स्नातक है। वर्तमान में कल्चरल एसोसियन नलवाडी असम की संस्थापक है।
कु. संगीता वर्मन ने बतलाया है कि बिहु असम का फोक नृत्य है जो त्यौहार से सम्बन्धित है। यह नृत्य खुशी व दुख का नृत्य है जो महिलाओं एवं पुरुषों द्वारा किया जाता है। उन्होने बिहु नृत्य के बारे में विस्तारपूर्वक बताया है कि यह दो प्रकार का नृत्य है देओरी बिहु व माइजिंग बिहु, दोनो नृत्य का एक ही लक्ष्य होता है दर्द व खुशी को महसूस करने की इच्छा व्यक्त करने करना। इस नृत्य में आमतौर पर मुद्राएं लय मेें, कूल्हे, बाजू, कमर से झुकना आवश्यक होता है लेकिन इसमें छलांगे नही होती है। इसका महत्वपूर्ण बाद्ययंत्र ढोलक है जो गर्दन से लटकाया जाता है। नृत्य के साथ गाये जाने वाले गीत बिहु कहलाते है। जो पीढी दर पीढी स्थानान्तरित होती है। इसका प्रदर्शन अपने आप में लम्बा होता है। ताल व गति के द्वारा इसे सजीव बनाया जाता है।
कु. संगीता वर्मन जी के मास्टर क्लास में बिहु का डेमोनस्टेªशन तैयार किया जाएगा, जिसका प्रदर्शन होगा। बिहु का प्रदर्शन 15 अप्रैल से 15 मई तक असम में किया जाता है।
बुन्देलखण्ड नाटय कला केन्द्र में चेखव व प्रेमचन्द्र के नाटको तैयारियां की जा रही है। रश्यिन लेखक अंतोन चेखव व भारतीय किसान जीवन सम्बन्धी कहानियो व नाटको के लेखक मुशी प्रेमचन्द की कहानी बडे भाईसाहब का प्रदर्शन किया जाएगा।
बिहु नृत्य की कार्यशाला में डाॅ. कृपांशु द्विवेदी, सूरज, आमिर खान, मंयक पाठक, राम निवास, महेन्द्र वर्मा, कु. रेखा, शिखा सिंह, रुचि आदि छात्र-छात्राएं शामिल रहे ।

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