मंडल इंजीनियर्स के इस प्रयास में निजीकरण ने मिशन जीरो जीरो ड्राइव के तहत रेलवे इंडस्ट्रीज़, रेलखंडों, डिपो, वर्कशॉप, शेड और अन्य रेलवे परिसरों से अनुपयोगी आर्किटेक्चर को निकालने का विशेष अभियान चलाया। ट्रैक्टर में अनुपयोगी रेल, रेल पथ सामग्री, वैगन, कोच और लोहे के अन्य सामान शामिल हैं। शेयरों की बिक्री पीएसयू पोर्टल के माध्यम से नीलामी की जाती है, जिससे राजस्व राजस्व का उपयोग रेलवे के थोक विक्रेताओं के विकास में किया जाता है।
मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा ने बताया कि रेलवे स्टेशनों की स्वच्छता और सुरक्षा में भी सुधार हुआ है। इंजीनियरों के उद्योगों से रेलवे परिसर साफा-सुथरे हो गए हैं और उद्यमों की अर्थव्यवस्थाएं कम हो गई हैं। इससे रेलवे अधिक सुरक्षित और प्रभावशाली हो गई है।
कार्मिक मंडल की यह उपलब्धि कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और प्रबंधन की दूरदर्शिता का परिणाम है। मंडल भविष्य में भी अपनी सुविधा का सबसे अच्छा उपयोग करने के लिए नए सिरे से प्रयास करें।
भारतीय रेल द्वारा यात्रियों के लिए तत्काल और प्रभावशाली समाधान नामांकन नंबर 139 और ऑनलाइन सुरक्षा शिकायत पोर्टल “रेल सहायता” उपलब्ध करा रखे हैं। रेल मंत्रालय द्वारा जारी किए गए क्रम में मंडल स्तर पर विभिन्न प्रचार माध्यमों से यात्रियों को इस सुविधा की जानकारी दी जा रही है।
रेल मदद (रेल मदद) पोर्टल और ऐप यात्रियों को प्रस्तावित मंच प्रदान करता है, जहां वे अपनी यात्रा के दौरान या उसके बाद विभिन्न प्रकार की जानकारी जैसे कि स्वच्छता, पात्रता, कोच स्थिति की, सुरक्षा आदि से संबंधित दर्ज कर सकते हैं। इन निजीकरण की निगरानी उच्च स्तर से की जाती है और तय समय सीमा के भीतर उनके समाधान की पुष्टि की जाती है।
नंबर 139 के माध्यम से यात्री 24×7 रेल सेवाओं से संबंधित सहायता प्राप्त कर रहे हैं। यह नंबर इंटरएक्टिव वॉइस रिस्पॉन्स सिस्टम (आईवीआरएस) पर आधारित है, जिसमें यात्री ट्रेन की स्थिति, टिकट, टिकट रद्दीकरण शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
उक्त सुविधा के प्रचार-प्रसार सोशल प्लेटफॉर्म मीडिया पर ई-पोस्टर्स आदि के माध्यम से निरंतर नवाचार करने का प्रयास किया जा रहा है।
रेल प्रशासन यात्रियों से अनुरोध है कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए 139 ऑनलाइन या रेल मदद पोर्टल/ऐप का अधिक से अधिक उपयोग करें और इस सुविधा को जन-जन तक सहयोग करें।