मोंठ/झाँसी – 2 दिनों पूर्व बीच रोड पर एक क्षत विक्षत लाश ग्राम भुजौंद के ओवर ब्रिज पर मिली थी, जिसकी पहिचान शव के पास मिली आधार कार्ड के अनुसार रामनगर उरई निवासी अंकित पटेल के रूप में की गई थी, आज रामनगर उरई जिला जालौन निवासी महाराज सिंह पुत्र रामराजा निरंजन ने थाना मोंठ में प्रार्थना पत्र देते हुए बताया कि जो बीते दो दिनो पूर्व 27 जनवरी को नेशनल हाईबे भुजौंद ओवर ब्रिज पर कानपुर से झाँसी की ओर जाने वाले हाईवे मार्ग पर क्षत विक्षत शव मिला था, वह मेरे पुत्र अंकित पटेल का नही है, वह जूते,कपड़े भी मेरे पुत्र के नहीं थे, उसने बताया कि मेरा लड़का अंकित पटेल दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी का अध्ययन कर रहा था, 26 जनवरी को मेरा पुत्र मंगला लक्ष्यदीप एक्सप्रेस से दिल्ली से झांसी आया 26 जनवरी को लगभग शाम 6 बजे वह झांसी स्टेशन पर उतरा वहां से अंकित रोडवेज बस स्टैंड पर पहुंचा, जहां अंकित लगभग 7 :15 बजे अपने मोबाइल से अपनी मां को बृजेश कुमारी और बहिन सुष्मिता पटेल के फोन पर बात करके बताया कि मैं झांसी डिपो रोडवेज बस नंबर यूपी 93 टी 3244 से उरई आ रहा हूँ, तो पुत्र को लेने के लिए उरई बस स्टैंड पर अंकित का इंतजार वह कर रहा था, लेकिन वह नहीं आया उसके मोबाइल पर भी कई बार फोन लगाया लेकिन फोन नहीं लगा, ज्यादा रात हो जाने के कारण तकरीबन लगभग 12 बजे उरई कोतवाली में उसकी सूचना दी, सूचना के बाद में अपने पुत्र को खोजने के लिए झांसी की ओर निकल पड़ा, झांसी बस स्टैंड रेलवे स्टेशन पर कोई भी जानकारी नहीं मिली, उसके बाद नवाबाद थाना झांसी में भी सूचना दी, लेकिन पुत्र का कोई पता नही लगा, जब सुबह 8 बजे पुलिस के द्वारा फोन करके बताया गया कि नेशनल हाईवे भुजौद ओवर ब्रिज पुल पर उरई झांसी मार्ग पर क्षत विक्षत आपके लड़के का शव पड़ा है, रोड के किनारे अंकित पटेल का आधार कार्ड,वोटर कार्ड एवं कुछ कपड़े जूते पड़े थे, आधार कार्ड व वोटर कार्ड के द्वारा ही शव की शिनाख्त हुई थी, लेकिन आज जब वह जूते कपड़े आदि उसके पिता ने देखे तो पूरा मामला ही उलट-पुलट हो गया, जिसमें उसके पिता से बातचीत की तो कई ऐसे चौकाने वाले रहस्य सामने आए, जिसमें अंकित पटेल 9 नंबर के जूते पहनता था, लेकिन शव के पास 11 नंबर के जूते मौके पर मिले एवं जब दिल्ली में रह रहे मकान मालिक से पूछा गया तो मकान मालिक के मुताबिक अंकित दिल्ली से हुड बाली जैकेट पहनकर निकला था, लेकिन यहां शव के पास एक प्लेन जैकेट ही मिली है, वही जिस डिपो से वह आया था, जब उसके पिता ने डिपो के कंडक्टर से पूछा तो उसने अंकित की फोटू देख कर बताया कि हां वह अंकित पटेल मेरी ही डिपो से झांसी से बैठा था, लेकिन उसने उरई का टिकट लिया था, वह पहले बरल पर उतरने के लिए कह रहा था, लेकिन मैंने मना किया तो वह मान गया, इसके बाद वह पूॅछ के एक डिग्री कॉलेज के सामने रात्रि लगभग 9 बजे उतर गया था, जिससे अंकित पटेल केस ने फिर एक नया मोड़ ले लिया है, स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि यदि वह पूॅछ उतरा था, तो उसका शव भुजौद ओवर ब्रिज पर कैसे आया, उसके पिता ने डीएनए टेस्ट कराने की पुलिस से मांग की है कि जब तक डी एन ए टेस्ट नही हो जाता में अपने पुत्र का शव मानने के लिए तैयार नही हूँ, किसी षड्यंत्र के तहत मेरे पुत्र को किया गया है, वही एक बड़ा सवाल यह भी पैदा होता है कि लगभग 3 दिन बीत जाने के बावजूद भी पुलिस मामले को ठंडे बस्ते में क्यों डालने की कोशिश कर रही है,